उत्तर प्रदेश साहित्य सभा आजमगढ़ के तत्वावधान में मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया

आइडियल इंडिया न्यूज़
संजय पांडेय आजमगढ़
उत्तर प्रदेश साहित्य सभा आजमगढ़ के तत्वावधान में जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार श्री जगदीशप्रसाद बरनवाल कुंद जी के आवास पर मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद जी ने किया तथा मुख्य अतिथि डॉक्टर प्रवेश सिंह विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग दुर्गा जी स्नातकोत्तर महाविद्यालय चंदेश्वर आजमगढ़ तथा विशिष्ट अतिथि संजय कुमार पांडे सरस मंडल संयोजक उत्तर प्रदेश साहित्य सभा आजमगढ़ थे।
कार्यक्रम का आरंभ संतोष पांडे जी के सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात श्रीमती सरोज यादव जी ने अपने मधुर स्वर से आजमगढ़ की महिमा को बताते हुए बहुत ही सुंदर गीत प्रस्तुत किया। कवि घनश्याम यादव ने “संबंधों के बीच यह दुनिया छूटेगी एक दिन सारी जिंदगी ही रुठेगी।”सुन कर क्षणभंगुर जीवन से सबको आगाह किया। शालिनी राय ने जीवन के सबसे करीबी साथी को अपने पत्र के माध्यम से कुछ संदेश प्रेषित करके कुछ इस तरह से कहा” प्रिय लिखूं या मित्र या पतिदेव संघाती लिखूं, जी करें कि आज तुमको प्रेम की पाती लिखूं।” वरिष्ठ कवि दिनेश श्रीवास्तव ने “अंधेरी सूनी रातों में पपीहरा बोलता है विरह की वेदना के द्वार कोई खोलता है”। ने सुना कर कवि गोष्ठी को एक नई ऊंचाई प्रदान की। संतोष पांडे ने अपनी रचना” शब्द भावों को सदा मिलते नहीं नागफनियों पर कमल खिलते नहीं।”सुना कर जगत के वास्तविकता से सबको रूबरू कराया। स्नेहलता राय ने आदर्श की राह में प्यारे ख़ार बहुत हैं जीत मिलेगी उससे पहले हार बहुत है।”सुना कर सकारात्मक सोच के प्रति लोगों को जागरूक किया। प्रसिद्ध गजल कर आशा सिंह ने “शब्दों के लेकर धागे कुछ गीत बुन रही हूं हर साक्ष्य हो सुरक्षित यह युक्ति गुन रही हूं।” सुन कर कवि गोष्ठी के माहौल को संजीदा कर दिया।उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के मंडल संयोजक ,कवि ,पत्रकार संजय कुमार पांडे सरस ने “आज इस देश में माहौल बनाना होगा आग लगने की जगह फूल खिलाना होगा”। सुना कर वातावरण को भाईचारगी के विचारों से ओतप्रोत कर दिया। नव रचनाकार मृणाल बरनवाल ने दोस्तों पर अपनी भावांजलि प्रस्तुत करते हुए एक रोचक कविता का काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के संचालक एवं संस्था के अध्यक्ष विजयेन्द्र प्रताप श्रीवास्तव करुण ने “फंस गए दृग मोह के कंचन हिरन में, लिख रहा था कुछ विधाता इस चयन में।”सुना कर कवि गोष्ठी में समा बांध दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर प्रवेश सिंह ने अपने उद्बोधन में इस कवि गोष्ठी की भूरी भूरी प्रशंसा की तथा कहा कि कवि गोष्ठी से समाज के उत्थान का राह प्रशस्त होता है। अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद जी ने अपनी रचना” कुंठा की तोड़ हर दीवार ,जाना प्रतिबंधों के पार ,रुठी सी लगती क्यों कल्पना, इसको भी कर लें साकार।”सुना करके कवि गोष्ठी को पूर्णता प्रदान कर दिया। इस अवसर पर प्रभात कुमार बरनवाल एडवोकेट ने आए हुए सभी कवि एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया।