उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण समारोह शानदार कवि सम्मेलन के साथ संपन्न

उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण समारोह शानदार कवि सम्मेलन के साथ संपन्न
आइडियल इंडिया न्यूज़
संजय पांडेय आजमगढ़
आजमगढ़।उत्तर प्रदेश साहित्य सभा आज़मगढ़ के तत्वावधान में कला साहित्य एवं संस्कृति केंद्र, नरौली के सभागार में रविवार को साहित्य सभा के पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण समारोह शानदार कवि सम्मेलन के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में, मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर भवानन्द महाविद्यालय पुनर्जी, जहानागंज की बालिकाओं ने संस्कृत में स्वस्तिवाचन करते हुए विद्या की देवी की आराधना से वातावरण को देवमय बना दिया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे जनपद के वरिष्ठ कवि प्रभुनारायण पाण्डेय ‘प्रेमी’ ने जनपद के और बाहर के आये हुए कवियों और शायरों को सम्मानित किया।
इसके बाद गठित आज़मगढ़ साहित्य सभा के पदाधिकारियों की परिचय सभा के पश्चात उनका शपथ ग्रहण कराया गया।
शपथ के पश्चात डॉ0 कमलेश राय के संपादन में मऊ जनपद से प्रकाशित “शब्दिता” पत्रिका का लोकार्पण सम्पन्न हुआ।
लोकार्पण के पश्चात कवि सम्मेलन का दौर शुरू हुआ जिसमें शालिनी राय ‘डिम्पल’ ने “मैं सिया !
कहाँ जानती थी ?
किस्मत के लिखे को भी,
कहाँ पहचानती थी।”
सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया।वहीं रत्नेश राय की रचना “सुपावन ‘तामसा’ तट पर, जो तत्पर आज बनने को,महानगरी है आजमगढ़, नगर अनुपम हमारा है।”, आज़मगढ़ का गौरवगान बनी, ततपश्चात संतोष पांडे ने “”जाति रंग मज़हब के हमने कितने झगड़े पाल लिये,अपने हित के खातिर केवल मन पे परदे डाल लिये” जैसा प्रेरणादायक गीत प्रस्तुत कर काव्य गोष्ठी को नया आयाम दिया। डॉ0 शशिभूषण प्रशान्त, संजय पाण्डेय ‘सरस’, विजयेंद्र श्रीवास्तव ‘करुण’, कमलेश राय ‘अश्क़ चिरैयाकोटी”, अजय कुमार पाण्डेय, रत्नेश राय, राकेश कुमार पांडेय, दिनेश कुमार श्रीवास्तव, संतोष कुमार पांडेय, रुद्रनाथ चौबे, लाल बहादुर चौरसिया, शशि प्रेमदेव, रामबचन यादव ने अपने कविताओं और पंक्तियों से प्रेम, करुणा, श्रृंगार और देशभक्ति के विविध भावरंगों से माहौल को कवित्तमय बना दिया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रेमी जी ने कहा कि कवि और कविता समाज के तंत्रिका तंत्र होते हैं जो समाज मे संतुलन और समायोजन उत्पन्न कर समाज को उर्ध्वगामी बनाते हैं।कला साहित्य एवं संस्कृति केंद्र नरौली के सरंक्षक डॉ0 प्रवेश कुमार सिंह ने सभी आगन्तुकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कला और साहित्य को समाज का दर्पण बताया जिसके प्रतिबिंब में संस्कृति के दर्शन होते हैं। कार्यक्रम में मुख्य रूप से संजय पांडे ‘सरस’, विजेंद्र श्रीवास्तव ‘करुण’ शालिनी राय ‘डिम्पल’, डॉ० प्रतिभा सिंह, सागर पांडे जेपी यादव आदि कवियों की उपस्थिति रही तथा कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ० कौशल, डॉ० जेपी यादव, डॉ० अतुल यादव इंजीनियर, जितेंद्र शिक्षक संघ के अध्यक्ष राकेश त्रिपाठी की आज गरिमामयी शानदार उपस्थिति रही।