05/07/2025
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पीएम आवास की लागत फंडिंग 2 लाख करने की मंत्रियों ने रखी अपनी मांग l*

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*पीएम आवास की लागत फंडिंग 2 लाख करने की मंत्रियों ने रखी अपनी मांग

*आइडियल इंडिया न्यूज़
डॉ ए.के. गुप्ता , द्वारका मोड़
नई दिल्ली*

आम बजट में प्रधानमंत्री आवास योजना के बजट में इजाफ़े की मांग पुरजोर तरीके से दिल्ली की कान तक पहुंची है। मजे की बात ये है कि ज्यादातर भाजपा शासित प्रदेशों की ओर से ऐसी मांग तब सामने आई जब गत दिनों कृषि एवम् ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्यों के मंत्रियों के साथ औपचारिक चर्चा कर रहे थे। शिवराज सिंह चौहान का राज्य मध्यप्रदेश हो या फिर मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, बिहार, आंध्र, असम, गुजरात और हरियाणा जैसे भाजपा शासित राज्य हों, सभी की ओर से एकसुर में पीएम आवास योजना के फंड को नाकाफी बताया। भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों के आवाज में आवाज मिलाने का काम किया झारखंड, पंजाब और तमिलनाडु जैसे गैर भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों ने।
सूत्रों ने बताया कि सभी राज्यों के मंत्रियों की राय थी कि वर्ष 2016 के बाद से प्रति यूनिट पीएम आवास योजना के लागत का नये सिरे से मूल्यांकन नहीं किया गया, जबकि 8 सालों में एक यूनिट की लागत में बहुत वृद्धि हुई है। सीमेंट, स्टील, मजदूरी सब बढ़ी है। बैठक में शामिल सूत्रों के बताया कि इस बात पर विशेष चर्चा हुई कि 2016 में मौदानी राज्यों के लिए 1.20 लाख प्रति मकान फंड की स्वीकृति थी जबकि पहाड़ी इलाकों के लिए 1.30 लाख की दर से लागत व्यय करने का तय किया गया था। ये बात अलग है कि पीएम आवास योजना के तहत पहले यही दर 70 हजार और 75 हजार थी।
झारखंड सरकार अबुआ आवास योजना के तहत 2 लाख रुपया लाभार्थी को आवंटित कर रही है। राज्य की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय ने हरिभूमि से कहा, जब राज्य सरकार दो लाख दे रही है तो उसी मद में पीएम आवास योजना 1 लाख 20 हजार प्रति यूनिट क्यों दे रहे हैं, बढ़ाया ही जाना चाहिए। पीएम आवास योजना के अंतर्गत ग्रामीण अंचलों में गरीबों के लिए 2 करोड़ 95 लाख मकान बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में जिसे गत वर्ष बढ़ा कर 5 वर्षों में अतिरिक्त 2 करोड़ पीएम आवास बनाने का नया लक्ष्य रखा गया। इस मद में 54 हजार 500 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया था।
झारखंड की तर्ज पर अब केंद्र पर दबाव है कि 1 लाख 20 हजार प्रति यूनिट पीएम आवास की लागत को बढ़ाकर 2 लाख किया जाए, मंत्रियों की मांग ऐसी ही थी, लेकिन एक साथ इतना बड़ा इजाफा करना आसान नहीं। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों की मांग को पीएमओ के बरास्ते वित्त मंत्रालय भेजा गया है। जिसके तहत मैदानी इलाकों के लिए 2 लाख प्रति यूनिट और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 2.25 लाख करने के प्रावधान की अनुशंसा है।

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