ऑनलाइन गेमिंग के दलदल में फंसता देश का भविष्य,आधी रात को ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में खो रहे बच्चे और युवा

ऑनलाइन गेमिंग के दलदल में फंसता देश का भविष्य,आधी रात को ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में खो रहे बच्चे और युवा”

आइडियल इंडिया न्यूज़
विकास श्रीवास्तव जयचन्द वाराणसी

वाराणसी। आम आदमी की जिंदगी का बड़ा हिस्सा आजकल ऑनलाइन दौर में गुजर रहा है।शॉपिंग से लेकर मनोरंजन के साधन तक लोग ऑनलाइन खोज रहे हैं,लेकिन यदि बात हम ऑनलाइन गेम की करें तो ये गेम इंसानी जिंदगी में इस हद तक घुसपैठ कर चुके हैं कि लोगों की लाइफ इससे प्रभावित हो रही है या कुछ लोगों की तबाह हो चुकी है। बचपन की दहलीज लांघकर किशोरावस्था में कदम रखने वाले किशोर ऑनलाइन गेम्स के मायाजाल मे फंसते जा रहे हैं।आधी रात को जब सारी दुनिया नींद में होती है तब 16 साल तक के किशोर मोबाइल के जरिये ऑनलाइन गेम खेलने में मशगूल हो जाते हैं।ये दौर टेक्नालॉजी का है,युवा पीढ़ी के लिए मोबाइल ऑक्सीजन जितना जरूरी हो गया है।वही बच्चे भी तेजी से मोबाइल का उपयोग करना सीख चुके हैं।मोबाइल पर कॉल अटेंड करना,व्हाट्सऐप और मैंसेजर पर लोगों से चैंटिंग करने के अलावा एक रोग तेजी से पैठ जमा चुका है।ऑनलाइन गेम्स ने किशोरों की आउटडोर एक्टविटी को तहन-नहस कर दिया है।युवाओं के सिर पर भी मोबाइल गेम्स का भूत सवार है।इन दिनों पबजी बैन होने के बाद भी बच्चों के सिर मोबाइल पर गेम खेलने का बुखार चढ़ा हुआ है।

दिमाग पर पड़ता है बुरा असर
मोबाइल पर लगातार गेम खेलने के कारण मानसिक परेशानी के साथ आंखों,सिर में दर्द,रात में घबराहट,नींद ना आना,चिड़चिड़ापन,खीज,भूलने की बीमारी,निराशा,टेंशन और डिप्रेशन जैसी बीमारियां घेरने लगती हैं।लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठकर गेम्स खेलने के कारण मोटापा,ब्लड प्रेशर और डायबिटीज समेत अन्य शारीरिक समस्याएं भी बच्चों और युवाओं को घेरने लगती हैं।आनलाइन गेम्स के जरिए शरीर बीमारियों का घर बनने लगता है।


गेम खेली तो सूखेगा आंखों का पानी

चिकित्सकों ने यह भी तय कर दिया है कि अगर कोई मोबाइल पर गेम खेलेगा तो उसकी आंखों का पानी तक सूख जाएगा,जिसके कारण आंखों की रोशनी कम हो जाएगी।अभिभावकों को ध्यान रखना होगा कि जब भी बच्चा घर पर है तो उसको मोबाइल से दूर रखें।वरना छोटी उम्र में ही गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

मोबाइल पर गेम्ज खेलते रहते हैं नौजवान व बच्चे

इंटरनेट का आज की युवा पीढ़ी पर बुरा असर साफ तौर पर देखा जा सकता है।नौजवान व बच्चे मोबाइलों पर तरह-तरह की गेम्स खेलते रहते हैं।बच्चे पबजी,कैंडीक्रश,लूडो आदि गेम खेलने में व्यस्त रहते है।इन गेमों को खेलते समय बच्चे व नौजवान इतने गमगीन रहते है कि वह एक दूसरे को देखने तक भी पसंद नहीं करते।इसके अलावा गेमों की लत इस कदर बढ़ चुकी है कि रास्ते में चलते समय हुए व बसों, गाडियो में बैठते हुए भी फोन पर गेम खेलने में मग्न रहते है।इसके चलते कई बच्चों को रास्ते में मोबाइल चलते समय ठोकरे भी लग चूकी है।कई बार तो सड़क पर गाड़ियों की चेपट के भी शिकार हो चूके लेकिन मोबाइल पर गेम खेलना नहीं छूट रहा है।

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