अहले बैत किराम से मोहब्बत करना भी इबादत है !हसनैन करीमैन से मोहब्बत करना लाज़मी है:-फुरक़ान मियां
अहले बैत किराम से मोहब्बत करना भी इबादत है !हसनैन करीमैन से मोहब्बत करना लाज़मी है:-फुरक़ान मियां
आइडियल इंडिया न्यूज़
काजिम हुसैन, शरद कपूर
खैराबाद ।सीतापुर
स्थानीय दरगाह हाफ़िज़िया अस्लमियाँ में मोहर्रम का चांद देखने के बाद विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी 9 दिवसीय मजलिसे मोहर्रम का शुभारम्भ मग़रिब की नमाज़ के बाद 31 जुलाई से हो गया था इसी क्रम में कल रात्रि 2अगस्त को तीसरे दिन मजलिस को सम्बोधित करते हुए खानकाह के सज्जादानशींन अल्हाज सैय्यद फुरक़ान मियां हाशमी ने कहा कि हम ईमान वाले हैं
अल्लाह और उसके रसूल को सच्चे दिल से मानते हैं तो फिर रसूल के लख्ते जिगर हसनैन करीमैन से मोहब्बत करने में क्या दुश्वारी है और आपके वालिद मोहतरम हज़रत मौला अली से सच्चे दिल से मोहब्बत करने में क्यों परहेज़ करते हैं जबकि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की जिसने अली से मोहब्बत की उसने मुझसे मोहब्बत की जिसने इमाम हुसैन से मोहब्बत की उसने मुझसे मोहब्बत की और अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने इरशाद फ़रमाया की जिसने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मोहब्बत की उसने मुझसे मोहब्बत की और जब अल्लाह से मोहब्बत हो गई तो सारे मामलात अपने आप बन जाएंगे।
श्री हाशमी ने आगे कहा कि इमाम हुसैन ने जो कर्बला में सबक़ दिया है वो हम सबकी पूरी ज़िंदगी का सबक है बल्कि यूं कहा जाए कि इमाम हुसैन की ज़िन्दगी एक अपने आप मे बेहतरीन सबक़ है और सबक़ को जितना पढ़ो और याद करो उतना ही अपने इल्म में इज़ाफ़ा होता है श्री हाशमी ने यह भी कहा कि कर्बला की जंग कोई धन, दौलत, बादशाहत की नही थी वो जंग सिर्फ और सिर्फ हक़ और नाहक़ यानी सच्चाई और बुराई की जंग थी आप बुराई के सामने झुके नही सच्चाई के दामन को थाम कर शहीद हो गए।
कार्यक्रम का शुभारम्भ दुरूद शरीफ के साथ हुआ अर्थात मौजूद सभी लोगों ने कलमा दुरूद शरीफ पढ़ कर ईसाले सवाब किया फिर तक़रीर शुरू हुई और अंत मे मुल्क व मिल्लत की अमन खुशहाली की दुआ भी की गई।इस अवसर पर बड़ी तादाद में लोग जमा थे जिसमें मुख्य रूप से सैय्यद फरजान मियां, सय्यद सलमी मियां,सैय्यद फरहान मियां, सैय्यद फ़रमान मियां चिश्ती, सैयद इरफान वहीद हाशमी,क़ारी इस्लाम अहमद आरफ़ी, इमरान सिद्दीकी, हाफ़िज़ आरिफ,हाफ़िज़ नईम,सलीम खान, दानियाल आरफ़ी, हाफ़िज़ नदीम,अनीस अहमद,एहतिशाम अहमद,हमज़ा सिद्दीकी, असद मदनी,आदि मौजूद थे। ये कार्यक्रम 8 मोहर्रम तक निरंतर चलता रहेगा।