05/07/2025
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सफर में एक दिन क्यूं हमसफर भी छूट जाते

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सफर में एक दिन क्यूं हमसफर भी छूट जाते

डा संजीदा ख़ानम शाहीन,जोधपुर

========== *ग़ज़ल* ==========

*सफर में एक दिन क्यूं हमसफर भी छूट जाते हैं ,*

*ग़लत फहमी के मारे दिल के रिश्ते टूट जाते हैं ।।*

*कभी स्कूल से आते हुए जब लेट हो जाऊं ,*

*तो मम्मी मुंह बना लेती है पापा रूठ जाते हैं।।*

*कोई परखी हुई आहट अगर दर पर सुनाई दे,*

*न जाने क्यूं मिरे हाथों से बर्तन छूट जाते हैं।।*

*बड़ी मुद्दत से तेरी सारी बातें नोट करती हूं ,*

*तिरे वादे बराबर आजकल क्यूं झूठ जाते हैं।।*

*तू जिस दिन देखता है रास्ते में मुझको मुड़ मुड़कर*

*मेरे दिल की ज़मीं पर बेल बूटे फूट जाते हैं*

*मेरे सपने हैं संजू नींद जो आने नही देते*

*जो सपने नींद में आते हैं वो तो टूट जाते हैं।।*

✒️ *.डॉक्टर,संजीदा* *खानम,शाहीन,*

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