पहले से सहायक अध्यापक के पद पर काम कर रहे अभ्यर्थियों को दोबारा उसी पद पर आवेदन करने और चयनित होने का है अधिकार,*
पहले से सहायक अध्यापक के पद पर काम कर रहे अभ्यर्थियों को दोबारा उसी पद पर आवेदन करने और चयनित होने का है अधिकार,*
आइडियल इंडिया न्यूज़
अनीस अहमद बख्शी एडवोकेट प्रयागराज
*इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पहले से सहायक अध्यापक के पद पर काम कर रहे अभ्यर्थियों को दोबारा उसी पद पर आवेदन करने और चयनित होने का है अधिकार,*
*इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की उस दलील को नहीं माना….. जिसमें कहा गया था कि सहायक अध्यापकों के पास अंतर जिला स्थानांतरण का विकल्प है मौजूद …… उनके दोबारा उसी पद के लिए आवेदन करने से सरकार द्वारा शिक्षकों के सभी पद भरे जाने की मंशा होगी प्रभावित ….. और शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उद्देश्य होगा विफल*
*इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पहले से सहायक अध्यापक के पद पर काम कर रहे अभ्यर्थियों को दोबारा उसी पद पर आवेदन करने और चयनित होने का है अधिकार ….. ऐसा करके अभ्यर्थी बढ़ा सकते हैं अपने अंक और पा सकते हैं अपनी पसंद के जिले में नियुक्ति*
*कोर्ट ने कहा उनको इस अधिकार का उपयोग करने से रोका नहीं जा सकता*
*कोर्ट ने इस संबंध में प्रदेश सरकार द्वारा एकल न्याय पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अपील कर दी … खारिज*
*जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया यह आदेश*
*इससे पूर्व एकल न्याय पीठ ने अभ्यर्थियों की याचिका स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा जारी ४ दिसंबर २०२० के शासनादेश के पैरा पांच एक को असंवैधानिक मनमाना और अधिकार क्षेत्र से बाहर का करार देते हुए कर दिया था रद्द*
*इस शासनादेश द्वारा प्रदेश सरकार ने ऐसे अभ्यर्थियों को ६९००० सहायक अध्यापक पद के लिए चयनित होने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से मना कर दिया था जो पहले से ही सहायक अध्यापक के पद पर थे कार्यरत*
*एकल न्याय पीठ का कहना था कि पहले से सहायक अध्यापक के पद पर काम कर रहे लोगों को दोबारा उसी पद के लिए आवेदन करने पर नहीं है कोई रोक*
*याचीगण द्वारा अधिक अंक लाने से वे अपने पसंद के जिले में पा सकेंगे नियुक्ति*
*कोर्ट ने प्रदेश सरकार की उस दलील को नहीं माना …. जिसमें कहा गया था कि सहायक अध्यापकों के पास अंतर जिला स्थानांतरण का विकल्प है मौजूद*
*उनके दोबारा उसी पद के लिए आवेदन करने से सरकार द्वारा शिक्षकों के सभी पद भरे जाने की मंशा होगी प्रभावित और शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उद्देश्य होगा विफल*