लोकसभा चुनाव के बदलते मुद्दे।

लोकसभा चुनाव के बदलते मुद्दे।
आइडियल इंडिया ब्यूरो
सोनभद्र(भोलानाथ मिश्र)। आजादी के अमृतकाल में आगामी लोकसभा का आम चुनाव दो विचार धाराओं के बीच होने जा रहा है। एक तरफ छद्म धर्म निरपेक्षता है तो दूसरी तरफ सर्व धर्म समभाव। दोनों विचार धाराओं के बीच 2024 के लोकसभा का स्वरूप निर्धारित होने जा रहा है। स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर बढ़ते कदम का यह 18 वां पायदान भारत को अपने स्वयं की ओर ले जाएगा। खोई हुई प्रतिष्ठा की पुनः वापसी के लिए लोग मतदान करने की सोच रहे हैं। 1952 में जब पहली लोकसभा चुनाव हुआ था तब पंडित जवाहर लाल नेहरू स्वयं एक प्रमुख मुद्दा थे। जनता स्वतंत्र भारत में जनता की जनता के द्वारा और जनता के लिए सरकार बनते हुए देखना चाहती थी। ऐसे में प्रख्यात समाजवादी विचारक डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के जाति तोड़ो समाज जोड़ो के नारे पर न तो किसी ने ध्यान दिया न ही समाजवादी समाज की अवधारणा को तरजीह दी। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी
द्वारा स्थापित जनसंघ के प्रखर राष्ट्रवाद की विचारधारा को भी नजर अंदाज किया। यहीं स्थिति दूसरी लोकसभा 1957 में भी थी। पंडित नेहरू का राजनीतिक कद इतना बड़ा था कि कोई विपक्षी नेता उन्हें चुनौती देने की स्थिति में नही था। 1962 में तीसरी लोकसभा चुनाव में वाम पंथी विचार धारा ने चुनौती दी तो नेहरू जी ने विचार धारा से समझौता करना उचित समझा। 1964 में पंडित नेहरू के परलोक गमन के बाद गुलज़ारी लाल नंदा बहुत कम दिनों तक कार्यवाह प्रधानमंत्री रहे। लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में चुनाव होने की नौबत नहीं आने पाई जय जवान जय किसान का नारा देकर उस समय के अन्न संकट से निजात पाने के लिए उन्होंने अनोखा प्रयास किया था। 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान शास्त्री के प्रयास की सराहना पूरी
दुनियां में हुई। उस समय के सोवियत संघ के उज़्बेकिस्तान के तास कंद में शास्त्री जी की मृत्यु के बाद एक बार फिर गुलज़ारी लाल नंदा 11 जनवरी, 1966 से 24 जनवरी, 1966 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे। इसके पूर्व वे 27 मई, 1964 से 9 जून, 1964 तक कार्यवाहक प्रधानमंत्री रह चुके थे। जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी तो उनके नेतृत्व में 1967 में चौथी लोकसभा चुनाव में गरीबी हटाओ के नारे पर चुनाव हुआ। 1972 में पांचवी लोकसभा चुनाव में जाति पर न पाति पर, इंदिरा जी की बात पर चुनाव हुआ और उन्हे बहुमत मिला। 1975 में आपातकाल के बाद 1977 में छठवीं लोकसभा के चुनाव का मुख्य मुद्दा बाबू जय प्रकाश नारायण की समग्र क्रांति का नारा सफल रहा। जनता पार्टी के बैनर तले सभी विपक्षी एक पार्टी में आ गए। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार मुश्किल से ढाई साल चली। सातवीं लोकसभा के चुनाव से छद्म धर्म निरपेक्षता का दौर शुरू हुआ जिसमे अल्प संख्यकों के तुष्टिकरण को ही धर्म निरपेक्षता का मानक मान लिया गया। लेकिन 16 वीं लोकसभा का चुनाव 2014 में हुआ तो 282 सीट अकेले बीजेपी जीतकर पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बन गई। इसी के साथ मोदी ने नेरेटिव बदल दिया। सबका साथ ,सबका विकास का नारा दे कर जातिवादी चुनावी समीकरण को नया रूप प्रदान किया। 17 वीं लोकसभा का 2019 में चुनाव हुआ तो नए नारे से बीजेपी को अकेले 303 सीट मिली। अब 18 वीं लोक सभा का चुनाव 2024 में होने जा रहा है। इंडी गठबंधन जोर लगाए हुए है। इंडी गठबंधन के कई राजनीतिक दल सनातन संस्कृति, धर्म, आस्था, धर्म शास्त्रों को ले कर आपत्ति जनक टिप्पणियां करते रहते है। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार संदेश खाली के शाहजहां शेख को लेकर जिस ढंग से हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मुंह की खाई वो छद्म धर्म निरपेक्षता का निकृष्टतम उदाहरण है। नरेंद्र मोदी इस मामले को अच्छे से उठा रहे हैं। धर्म की रक्षा सत्य से होती है, विद्या की रक्षा अभ्यास से होती है, रूप की रक्षा स्वच्छता से होती है, और कुल की रक्षा सद आचरण से होती है। ‘कर्म प्रधान विश्व रचि राखा जो जस करहि सो तस फल चाखा’ यह जगत कर्म प्रधान है। जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है “धर्मों रक्षति रक्षिताः “अर्थात जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है। रामचरित मानस में कहा गया है ‘राखि को सकइ राम कै द्रोही ‘ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता पक्ष न केवल अपने कुनबे के ओडिसा, तेलंगाना, तमिल नाडु तक बढ़ा रहा है बल्कि क्षेत्रीय दलों से समझौता कर बीजेपी 370 और एन डी ए 400 पार के नारे की ओर एक एक कदम बढ़ा रहा है। बीजू जनता दल, तेलगु देशम से समझौते की प्रक्रिया चल रही है। कुल 38 दलों का परिवार मोदी की गारंटी के वायदे के साथ चुनाव मैदान में उतर रहा है। एक अरब 40 करोड़ भारतवासियों को अपना परिवार मानने वाले मोदी ने चुनाव के मुद्दे को एक नई धार दे कर मुद्दे तय कर दिए हैं। मोदी के एजेंडे में जनता को बताने के लिए अयोध्या में राम लला का भव्य मंदिर पूरे विश्व के लोगो के लिए आस्था का स्थल है। जम्मू कश्मीर से धारा 370 में संशोधन के कारण शांति की स्थापना का अलौकिक परि दृश्य है। पांचवे स्थान पर भारत की अर्थ व्यवस्था है। विश्व में भारत बढ़ता प्रभाव एक बड़ी उपलब्धि है। भारत की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा बताने लायक काम हैं। किसान सम्मान निधि, हर घर नल, नल से जल, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास, आयुष्मान भारत समेत अनेक योजनाएं सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबके सहयोग के आह्वान का एक यथार्थ उदाहरण है। इस बार जनता दो वर्ग में विभाजित है। एक समूह मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाना चाहता
है तो एक दूसरा वर्ग हर हाल में मोदी को हारते हुए देखना चाहता है। मतदाता प्रतिक्षा कर रहे हैं।इस बार का चुनाव सनातन संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए जहां होगा वही कथित रूप से लोक तंत्र को बचाने, सेकुलर स्वरूप को फिर बहाल कराने, कथित ताना शाह मोदी को सत्ता से हटाने के लिए होगा।