ऐसा परिवार जिले मे विरले मिलेंगे कि जहां पर इतने अध्यापक हो ,और पूरा परिवार भी हो संस्कार युक्त

*
ऐसा परिवार जिले मे विरले मिलेंगे कि जहां पर इतने अध्यापक हो ,और पूरा परिवार भी हो संस्कार युक्त
यह है पुरातन भाषा का महत्व*
आइडियल इंडिया न्यूज़
अनमोल शुक्ला बहराइच
बहराइच श्रावस्ती बॉर्डर पर स्थिति एक गांव बंतवारा है ।उस गांव में एक मिश्र परिवार है, जिसकी पृष्ठभूमि ही सुसंस्कृत है ।एक पिता के दो संतान थे। स्वर्गीय श्री राम सुहावन और स्वर्गीय रामेश्वर मिश्र।राम सुहावन मिश्र गिलौला में सरकारी इंटर कालेज में प्रवक्ता रहे। एवम उनके तीन पुत्र है जिसमे बड़े पुत्र का भी निधन हो गया लेकिन आज उनका भी छोटा पुत्र सरकारी शिक्षक है और इसी क्रम में रामसुहावन के दूसरे बेटे पेशकार पद पर कार्यरत हैं। और छोटा पुत्र भी गिलौला इंटर कॉलेज में अध्यापन कार्य करता हैं, और इनके एक बहु आगनवाड़ी कार्यकत्री तथा एक पुत्र वधू शिक्षामित्र है ,और इनके छोटे बेटे का पुत्र अर्थात मिश्र जी का सुपौत्र भी प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हो गया है ,और मिश्र जी के बड़े पुत्र जिनका छोटा पुत्र शिक्षक है, उनकी पत्नी भी अनुदेशक है, और मिश्र जी की दो सुपौत्री भी संविदा पर कार्यरत हैं गुरुकुल गिलौला में। और बाकी लोग नियुक्ति की आस में है।
अब श्री रामेश्वर मिश्र जी के केवल एक पुत्री थी, जिसको उन्होंने एक सरकारी नवोदय विद्यालय के शिक्षक के साथ विवाह कर दिया था, लेकिन अभी गत वर्ष उनके दामाद का रोड दुर्घटना से निधन हो गया। अब जाकर उनका परिवार सम्हल कर दुख से कुछ दूर हुआ है, और उनका पुत्र मृतक आश्रित कोटे से नौकरी करने लगा है।
ऐसा परिवार जिले मे विरले मिलेंगे कि जहां पर इतने अध्यापक हो ,और पूरा परिवार संस्कार युक्त है ,और सबसे महत्व पूर्ण बात है की ये सब लोग हिंदी संस्कृत भाषा से ही सफल हुए, जो संस्कृत भाषा को निम्न मानते हैं ये उन लोगों के लिए सबक है।