05/07/2025
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भगवान श्री कृष्णा और श्री कृष्ण जन्माष्टमी , पर विशेष प्रस्तुति

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भगवान श्री कृष्णा और श्री कृष्ण जन्माष्टमी

 

डॉ दिलीप कुमार सिंह  जौनपुर

भारत के ईश्वरीय अवतारों में भगवान श्री कृष्ण का जन्म सबसे अधिक असाधारण अद्भुत अकल्पनीय और सबसे अधिक कष्ट से भरा हुआ है भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं यह द्वापर और कलयुग की संधि बेला में हुए थे और तब कलयुग का आगमन केवल 125 वर्ष दूर रह गया था उनको जन्म लिए 5000 वर्ष से अधिक समय हो चुका हैं भगवान श्री कृष्ण भगवान श्री राम के समान संपूर्ण दुनिया में लोकप्रिय हैं और उनकी लोकप्रियता दिन रात बढ़ती जा रही है क्योंकि यह अपनी बाल लीला से लेकर रचना और संघर्ष सभी के लिए प्रसिद्ध है और उनके राजनीतिक कूटनीति तीनों लोक में सबसे बढ़कर हैं

भगवान श्री कृष्ण राजा वासुदेव और देवकी माता के पुत्र थे जब श्री कृष्ण की माता का विवाह वसुदेव के साथ हो रहा था तब उनके मामा कंस को आकाशवाणी हुई की तुम्हारी बहन का आठवां पुत्र तुम्हें मार डालेगा यह सुनते ही कंस ने देवकी को करने का निश्चय किया परंतु वसुदेव जी के बहुत प्रार्थना करने पर दोनों को हथकड़ी बेडी से जड़कर काल कोठरी में डाल दिया वहीं भादो महीने की घनघोर अंधेरी रात को जब मूसलाधार वर्षा हो रही थी भयंकर वज्रपात से संपूर्ण आकाश कांप पर रहा था और बिजलियां गिर रही थी यमुना नदी में महा भयानक बाढ़ आई हुई थी तब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ उनके जन्म लेते ही सभी बंदी सो गए हथकड़ी बेडी खुल गई और कारागार के फाटक अपने आप खुल गए और वसुदेव जी रातों-रात भयंकर बाढ़ ग्रस्त यमुना पार करके नंदजी के घर गोकुल श्री कृष्ण को रखकर योग माया को लेकर चले आए

उसको मारने के लिए कंस ने जब पत्थर पर पटकना चाहा तो कन्या उनके हाथ से छूटकर आसमान में चली गई और यह कहा कि अरे दुष्ट तू मुझे मारने की व्यर्थ कोशिश क्यों करता है तुझको करने वाला तो पैदा हो चुका है यह सुनकर गोकुल में कंस ने भयंकर उत्पात किया और बहुत से निर्दोष बच्चों को मार डाला भगवान कृष्ण को मारने उसने पूतना बकासुर अघासुर शकटासुर और चारूर मुश्टिक जैसे अनगिनत लोगों को भेजा लेकिन भगवान कृष्ण ने सबको मार गिराया

 

भगवान श्री कृष्ण की कथा परम अद्भुत कल्पना और सोच से परे हैं वह एक ऐसे संपूर्ण महानायक और ईश्वर के अवतार हैं जिनके चारों ओर भारत ही नहीं पूरी दुनिया का इतिहास भूगोल घूमता है संक्षेप में महाभारत के युद्ध में उन्होंने धर्म पर चलने वाले पांडव वीरों का साथ दिया और श्रीमद्भागवत गीता का जो उपदेश दिया वह संपूर्ण विश्व में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और वेद पुराण उपनिषद धर्म ग्रंथो का सारांश है

कालांतर में पांडव लोगों को विजय दिलाकर मथुरा में रहते हुए सभी दुष्ट शक्तियों का संघार कर अपराजित योद्धा कालयवन का वध करा कर समुद्र के बीचो-बीच दुनिया का सबसे आश्चर्यजनक समुद्री नगर द्वारका बसाई जो आज भी विज्ञान टेक्नोलॉजी के लिए संभव नहीं है 125 वर्ष की आय में जरा नाम के बहेलिया के द्वारा उनका वैकुंठ गमन हुआ और उनके जाते ही संपूर्ण द्वारिका समुद्र में डूब गई यदि भारत और सनातन धर्म को सुरक्षित रहना है और आगे बढ़ाना है तो सभी को भगवान श्री कृष्ण की नीति के अनुसार चलना ही होगा।

इस वर्ष भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी सोमवार के दिन 25 अगस्त को भादो महीने की अष्टमी में रोहिणी नक्षत्र में पड़ रही है ठीक आधी रात को उनके लिए धनिया की पंजीरी तुलसीदल और खीरे का भोग लगाया जाता है इसके बाद उनको झूला में झुलाने के भी प्रथा लोकप्रिय हो चुकी है लेकिन भगवान श्री कृष्ण को सच्चे मन से केवल याद कर लेने और सत्य पर चलने से ही उनकी सबसे बड़ी पूजा हो जाती है पाखंड और ढोंग करके उनकी पूजा करने वाला केवल दुर्गति को ही प्राप्त होता है इसलिए पूजा करते समय इन सब बातों का ध्यान रखें आज बदलते हुए परिप्रेक्ष्य में भगवान कृष्ण जैसे महानायक की आवश्यकता है उनके ऊपर अनंत कथा कहानी पुस्तक काव्य महाकाव्य लिखे गए और उसका कोई ओर छोर नहीं है आज भी विदेश में सबसे अधिक कृष्ण भक्त उत्पन्न हो रहे हैं और इस्कान के मंदिर सैकड़ो देश में यहां तक की बांग्लादेश और अरब जैसे मुस्लिम देशों में भी स्थापित हो चुके हैं जो भगवान श्री कृष्ण की अनंत लोकप्रियता का सजीव प्रमाण है उनके लिए केवल इतना ही कहा जा सकता है संकट में है आज वह धरती जिस पर तूने जन्म लिया पूरा कर दे आज वचन वह गीता में जो तूने दिया कोई नहीं है तुझ बिन मोहन भारत का रखवाला।

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