05/07/2025
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विवाह समारोहों में देवी देवताओं के वेशभूषा में नृत्य बंद हों : प्रो.अजय दुबे*

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विवाह समारोहों में देवी देवताओं के वेशभूषा में नृत्य बंद हों : प्रो.अजय दुबे*

आइडियल इंडिया न्यूज़

डा आर पी विश्वकर्मा जौनपुर

अपोलो वर्ल्ड स्कूल, पराऊगंज, कुटीर चक्के में आयोजित संगोष्ठी वर्तमान परिवेश में सामाजिक एवं वैवाहिक परंपराएं पर मुख्य वक्ता रोवर्स रेंजर्स जिला कमिश्नर तथा पूर्वांचल विश्वविद्यालय शिक्षा संकाय के डीन प्रोफेसर अजय कुमार दुबे ने अपने उदबोधन में कहा कि वैवाहिक आयोजनों , जयमाल आदि के समय देवी देवताओं के वेशभूषा में आयोजित नृत्य अविलंब बन्द होने चाहिए तथा जन सामान्य द्वारा विरोध आवश्यक है। धन के अहंकार तथा मूर्ख अज्ञानी अभिभावकों को ज्ञात होना चाहिए कि वह भारतीय संस्कृति , सनातन परंपरा के सोलह संस्कारों में से एक संस्कार विवाह को पूर्ण करने जा रहे हैं, न कि उनके पुत्र या पुत्री जग जीतने जा रहे हैं ।

प्रोफेसर दुबे ने कहा कि फिल्मों , टीवी चैनलों तथा धारावाहिकों में दिखाए जाने वाले कार्यक्रम प्री वेडिंग सेरेमनी, गोद भराई ,रिंग सेरेमनी, हल्दी, मेहंदी कार्यक्रम आदि चोंचलेबाजी को मध्यम वर्ग इतना ज्यादा महत्वपूर्ण समझने लगा है कि मूल वैवाहिक कार्यक्रम, मंत्रोच्चारण आदि को महत्वहीन समझने लगा है।

जयमाल आदि का कार्यक्रम इतनी विलम्ब के साथ हो रहा है कि आये हुए शुभेच्छु भी आशीर्वाद देने की जगह नैराश्यवस्था में अर्धरात्रि में घर जाने की सोचता हुआ भावहीन, संवेदनहीन आशीष दे रहा है। जयमाल में इतना विलम्ब हो जाता है कि मूल वैवाहिक कार्यक्रम के समय मूर्ख अभिभावक कहते हैं कि पंडित जी बहुत देर हो गई है ज्यादा मंत्र न पढ़े बस एक घंटे में विवाह निपटा दीजिए, जबकि मंत्र उच्चारण और मुहूर्त के प्रभाव ही वैवाहिक कार्यक्रम में सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं।

प्रबंधक प्रवीण मिश्र ने कहा कि वैवाहिक आयोजनों में सम्पूर्ण सड़क को इस तरह बाधित कर, अतिक्रमण कर के नृत्य , बैंड बाजा आदि बजाया जाता है कि कोई भी जनसामान्य, मरीज , एम्बुलेंस आदि भी अपने गंतव्य या अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं और प्रशासन आंखे बंद कर लेता है। मीडिया को भी जन जागरूकता बढ़ाने के लिए। दायित्व बोध अपेक्षित है।आयोजक तथा बारातियों को को सड़क यातायात के निर्बाध आवागमन पर ध्यान देना चाहिए।

मृत्युंजय सिंह ने रात्रि 10 बजे के बाद बैंड बाजा पर रोक लगाने की आवश्यकता बताई।दुर्भाग्यपूर्ण है कि जनमानस भी पीड़ित होने के बावजूद कहीं भी विरोध दर्ज नहीं कराती है।

संगोष्ठी में श्री धीरज, संतोष यादव एवं संजय मौर्या आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। अलोक कुमार त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया ।

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