नगर क्षेत्रों में सूदखोरों ने सूदखोरी का फैलाया है जाल, गरीब तबके एवं सफाई कर्मियों को कर्ज देकर करते हैं परेशान*
*नगर क्षेत्रों में सूदखोरों ने सूदखोरी का फैलाया है जाल, गरीब तबके एवं सफाई कर्मियों को कर्ज देकर करते हैं परेशान*
आइडियल इंडिया न्यूज़
अवधेश मिश्रा जौनपुर
जौनपुर – जिले में सूदखोरी का जंजाल मकड़ी के जाल की तरह धड़ल्ले से पांव पसारे हुए हैं जिसकी सुध जिला प्रशासन को नहीं हैं बताते चले की नगर क्षेत्रों व ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से सूदखोरों द्वारा सूदखोरी का कारोबार है संचालित जहाँ कोई 10% तो कोई 20% पर और कही कही तो 25 से 30 प्रतिशत लिया जाता है ब्याज। जिला प्रशासन कब करेगा दबंग सूदखोरों पर कार्यवाही?? समय के साथ सब कुछ बदलता जा रहा है वहीं सरकार द्वारा समाज में लोगों को शिक्षित व विकसित करने की मुहिम जोरों पर चल रही हैं जहाँ सभी अपने उज्जवल भविष्य के प्रति रहते सचेत, माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य के लिए हर भरसक प्रयास करते हैं चाहे उनके बच्चों की शिक्षा का विषय हो या बेटी व बेटे के विवाह की बात हो लेकिन कहीं ना कहीं गरीब व मध्यम तबके परिवार के लोगों को अपना जीवन यापन करने के लिए आर्थिक स्थिति में भी किसी न किसी चुनौती का सामना करना पड़ता है फिर भी सामने कोच न कोई परेशानी खड़ी रहती हैं ऐसे में उनके सामने सूदखोरी के भूखे सूदखोर नामक घड़ियाल की तरह मुंह बाए परेशान व्यक्तियों की सहायता के रूप में पूरे माह की तनख्वाह सहित जीवन तक लील जाते हैं घड़ियाली सूदखोर।
सूदखोरों की सूदखोरी की हकीकत जानना हो तो नगर के नगरपालिका क्षेत्र के कईयों बैंक के बाहर उस समय देखने को मिलेगा जब नगरपालिका के कर्मियों का वेतन मिलने का दिन होता ठीक तनख्वाह के दिन मगरमच्छ समान सूदखोरों की सूदखोरी का घिनौना कारनामा बैंको के अन्दर से लेकर बैंक के बाहर तक देखने को मिलेगा बड़ी हैरानी की बात यह है की सूदखोरों के चंगुल में फंसे लोगों का बैंक पासबुक सूदखोरों के पास ही रहता हैं जैसे ही ब्याज के बोझ तले दबे लोगों की तनख्वाह उनके बैंक खाते में आती हैं तो वह घर परिवार का पेट भरने के लिए सूदखोरों को यह सूचित करने के लिए हो जाते हैं मजबूर की मेरी तनख्वाह मेरे खाते में आ गयी हैं आ जाओ पासबुक लेकर तुम्हारा ब्याज दे दे, और अपने परिवार का जियोपार्जन के लिए मुझे भी रुपये पैसो की आवश्यकता है, बता दें कि यही वजह है कि कम समय में दिन दुगनी रात चौगुनी कर मगरमच्छ जैसे घड़ियालों की काले धन की संपत्ति में बढ़ोतरी हो रही है जिसमें बेहद कम समय में आलीशान मकान, जमीन जायदाद विशाल पैमाने में तेजी से एकत्रित हो जाता है, आखिर ऐसे सूदखोरों पर कब और कैसे लगाम लगेगी यह भविष्य के गर्भ में है समाज ऐसे सूदखोरों के चंगुल से कब आजाद होगा यह एक बड़ा सवाल बनकर रह गया हैं अब देखना यह है की जिले के जिम्मेदार अधिकारियों की नजर मगरमच्छों जैसे सूदखोरों पर कब पड़ेगी और जिले के तेज तर्रार अधिकारीगण सूदखोरों पर कैसे अपना शिकंजा कसेंगे।