05/07/2025
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बालिका के साथ दुष्‍कर्म कर हत्‍या करने वाले चचेरे मामा को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा व लगाया सवा तीन लाख का अर्थदण्‍ड*

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*बालिका के साथ दुष्‍कर्म कर हत्‍या करने वाले चचेरे मामा को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा व लगाया सवा तीन लाख का अर्थदण्‍ड*

आइडियल इंडिया न्यूज़
अनीस अहमद बख्शी एडवोकेट प्रयागराज

सात वर्षीया बालिका के साथ दरिंदगी करने वाले चचेरे मामा को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट निहारिका चौहान की अदालत ने मृत्युदंड दिया है।
घटना बीजपुर थाना क्षेत्र में दो साल पहले हुई थी। दुष्कर्म के बाद गला घोंट हत्या कर बालिका का शव नाले में फेंक दिया गया था। शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने इसे जघन्यतम अपराध करार दिया। यह आदेश दिया कि दुष्कर्मी को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाय, जब तक उसकी मौत न हो जाए। कोर्ट ने उस पर सवा तीन लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड की समूची राशि मृतका के पिता को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक बीजपुर थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने सात नवंबर 2020 को बीजपुर थाने में दी तहरीर में आरोप लगाया था कि उसकी सात वर्षीया बेटी उसी दिन शाम 4 बजे से घर के पास से गायब है। उसने सभी जगहों पर खोजबीन की, लेकिन कहीं पता नहीं चला। अंतिम बार उसे गांव के ही रहने वाले चचेरे मामा शिवम के साथ खेलते हुए देखा गया था। आशंका है कि उसी ने बेटी को गायब किया होगा।
तहरीर पर बीजपुर पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर छानबीन शुरू की। शिवम को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो उसने हत्या की बात कबूल की। उसकी निशानदेही पर बालिका का शव नाले के पास से बरामद हुआ। पोस्टमार्टम में दुष्कर्म की पुष्टि हुई। शरीर पर कई जगह चोट के निशान भी मिले। दुष्कर्म, हत्या और पॉक्सो एक्ट की धाराएं बढ़ाते हुए पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की।
मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर शिवम को दोषी करार दिया। शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए उसे फांसी और सवा तीन लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
कोर्ट ने अपने आदेश में घटना को जघन्यतम अपराध मानते हुए यह टिप्पणी भी की है कि दोषी शिवम को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाय, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए। अभियोजन पक्ष की तरफ से विशेष लोक अभियोजक दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह एडवोकेट ने बहस की।

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