06/07/2025
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ट्रिनीटी मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी वाराणसी में हुये घोटाले को न्यायालय ने लिया संज्ञान में*

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*ट्रिनीटी मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी वाराणसी में हुये घोटाले को न्यायालय ने लिया संज्ञान में*

*_न्यायालय श्रीमान् सिविल जज (जू.डी.)/एफ .टी .सी .प्रथम नयधिश शक्ति सिंह की अदालत ने सम्बंधित थाने को जारी किया सुसंगत धाराओं में प्राथमिक दर्ज करने का आदेश_*

आईडियल इंडिया न्यूज़
अनुराग पाण्डेय

वाराणसी:

वाराणसी में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ट्रिनीटी मल्टीस्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी वाराणसी में लगभग 6 करोड़ रुपये निवेशकों के घोटाले को पूर्व में आईडियल इंडिया न्यूज़ द्वारा प्रमुखता से कई बार उजागर किया जिसे लखनऊ कमिश्नरेट ने संज्ञान में लेकर सोसायटी के अध्यक्ष अरुण शर्मा व रामकेश शर्मा को 21 जुलाई को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया जिन पर 25000₹ का इनाम भी घोषित था व उत्तर प्रदेश के विभिन्न थानों में 29 मुकदमे भी दर्ज थे लेकिन वाराणसी में मुकदमा पंजीकृत नही हुआ था जिस पर अवधेश सिंह द्वारा अधिवक्ता रमेश पाल की सहायता से न्यायालय में 156(3 )में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया ।
प्रार्थना पत्र की सुनवाई करते हुये न्यायालय ने सुंनवाई कर सारनाथ थाने को आदेश जारी किया है कि मामले की प्राथमिकी दर्ज विवेचना की जाये
न्यायालय के आदेश निम्वत है-

न्यायालय सिविल जज (जू.डि.) एफ.टी.सी. प्रथम, वाराणसी

न्यायालय पत्र स.-2115/2022

अवधेश कुमार सिंह बनाम अरूण कुमार शर्मा वगैरह

अधिवक्ता रमेश पाल

पत्रावली आदेशार्थ पेश हुई। विगत तिथि पर आवेदक के विद्वान अधिवक्ता को प्रार्थनापत्र अ. धारा 156(3) दं. प्र.सं. पर सुना जा चुका है।

संक्षेप में पा.पत्र का कथानक यह है कि विपक्षीगण प्रार्थी को प्रलोभन देकर अपनी सोसाइटी में आर. डी., एफ डी., डेली डिपोजिट, सुकन्या योजना,मेम्बरशिप इत्यादि योजनाओं में निवेश करने के लिये प्रार्थी से कहे प्राथी विपक्षीगण के प्रलोभन में आकर न सिर्फ अपनी धनराशि बल्कि अपने परिचित मित्रों की भी धनराशि उक्त सोसाइटी में जमा कराया जिसकी धनराशि लाखों करोड़ो रूपये मे है। जिसकी अवधि पूरी हो जाने के बाद भुगतान हेतु प्रार्थी के द्वारा सोसाइटी के निदेशकों सदस्यों से अनुरोध किये जाने पर पिछले दो वर्षों से टाला जा रहा है। विपक्षीगण द्वारा 5,96.27,847/ -रूपये फर्जी कागजात निर्मित कर हड़प लिया है तथा धोखाधड़ी करते हुए फर्जी कागजात के आधार पर प्रार्थी उसके सहयोगियों का उपरोक्त वर्णित रकम हडप कर लिया है। प्रार्थी द्वारा पैसा वापस मांगने पर विपक्षीगण भद्दी-भद्दी गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दिये। उपरोक्त कथानक के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना कराये जाने की याचना की गयी है।

प्रार्थनापत्र में उल्लिखित प्रकरण संज्ञेय प्रकृति का है। प्रार्थनापत्र शपथपत्र से समर्थित है तथा बिना विवेचना कराये सत्य को उदभुत किया जाना संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये प्रार्थनापत्र अंतर्गत धारा 156 (3) द.प्र.सं. न्यायहित में स्वीकार किये जाने योग्य है।

आदेश-
प्रार्थी अवधेश कुमार सिंह की ओर से प्रस्तुत प्रार्थनापत्र अंतर्गत धारा 156(3) द.प्र.सं. स्वीकार किया जाता है तथा थानाध्यक्ष सारनाथ को आदेशित किया जाता है कि प्रार्थनापत्र में वर्णित घटना के संबंध में समुचित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना कराया जाना सुनिश्चित करें।

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