06/07/2025
10022403281002240178Picsart_25-05-23_23-23-40-978Picsart_25-05-12_18-07-06-196

मां के जयकारे से गूंज रहा कामाख्या शक्ति पीठ सतोएवंती

0

मां के जयकारे से गूंज रहा कामाख्या शक्ति पीठ सतोएवंती।

देश के कोने कोने से पहुंच रहे साधु संत भक्त श्रद्धालु।
आइडियल इंडिया न्यूज़
विश्वनाथ प्रसाद गुप्ता,
स्टेट हेड बिहार।

प्रखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर पूरब सातों एवंती चपरांग के प्राचीन टिले पर स्थित देवी कामाख्या मंदिर भक्त श्रद्धालु के भक्ति भाव से विभोर हो मां के जयकारे से गूंज उठा है।जिले के नवोदित धर्मस्थलों में शुमार यह शक्ति पीठ क्षेत्र का प्रमुख धार्मिक स्थल है। जहां पर गत रविवार से भव्य श्री चंडी महा यज्ञ चल रहा है। जिसमें देश के कोने -कोने से प्रवचन कर्ता मानस मर्मज्ञ संत महात्मा एवं भक्त श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। यज्ञ में भक्त जन उमड़ रहे हैं। आदि शक्ति के इस धाम पर राम लक्ष्मण, जानकी हनुमान, राधा कृष्ण, शंकर , पार्वती की भी प्रतिमा स्थापित हो चुकी है। ऐसी मान्यता है कि यहां के हवन कुंड के स्पर्श से सभी कष्ट स्वत: समाप्त हो जाते हैं एवं सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। संत के सत्संग का श्रद्धालु लाभ उठा रहे हैं।

मंदिर का इतिहास –

धाम देव प्रदिपिका एवं लखनऊ तथा गाजीपुर गजेटियर में वर्णित तथ्यों से पता चलता है कि 16 वीं शताब्दी में नव वंशीय स्वराष्ट्र नरेश कनक सेन के कनिष्ठ पुत्र वीर सिंह ने अपने पौरूष के दम पर वीर नगर की स्थापना करते हुए सिसौड़ तथा गोही रियासतों को जीत सिसौदिया, मेवाड़ी एवं गहलौत के नाम से प्रसिद्ध हुए। तत्पश्चात सीमा पर्वतीय, मसेड़ी एवं धुंधार पहाड़ी ग्रहों को जीत कर अपना शासन स्थापित किया। यही सूर्यवंशी कालांतर में सिकरी आकर सिकरवार नाम से प्रसिद्ध हुए। उनके वंशज धाम देव राव 36 युद्ध सहायक नरेशों में शुमार होने के बावजूद भी बाबर की ताकतवर सेना के समक्ष युद्ध में जीत न सके और प्रतिशोध लेने के लिए शक्ति संचय हेतु पूरब दिशा की ओर चल पड़े। इसी क्रम में वर्तमान सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित गहमर के निकट तत्कालीन पहाड़ीनुमा स्थान पर आ टिके। जिसे आज सकराडीह करहियां के नाम से जाना जाता है। और वहां पर उनके द्वारा अपनी इष्ट देवी मां कामाख्या का स्थापित मंदिर देश के प्रमुख धर्म स्थलों में प्रसिद्ध है।लगभग तीन सौ वर्ष पूरब सातो एवंती के सूर्यवंशी रामेश्वर सिंह ने करहियां स्थित देवी स्थल से मिट्टी लाकर अपने गांव में देवी कामाख्या के प्रति रूप में मिट्टी से पिंडी निर्माण किया एवं सटे अखाड़ा भी बनवाया। जहां प्रति वर्ष नवरात्र के अवसर पर मेला एवं दंगल का आयोजन होता है। उसी स्थल पर गांव के एवं क्षेत्र के श्रद्धालुओं के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। भूत पूर्व सांसद मुनी लाल राम, पूर्व मंत्री व सांसद छेदी पासवान, एमएलसी संतोष सिंह पूर्व एमएलसी कृष्णा सिंह एवं बिहार विधान सभा के सभापति अवधेश नारायण सिंह के ओर से चहारदीवारी, पुस्तकालय, सामुदायिक भवन, स्नानागार, शौचालय आदि का निर्माण हो चुका है।

चल रहा प्रयास –

लगभग दो एकड़ की भूमि में 60 फीसदी भूमि पर मंदिर की स्थापना हो चुकी है। पूर्व उप विकास आयुक्त नवीन चंद्र झा ने मां के दर्शन के दौरान गर्भ गृह को गुप्त कालीन बताते हुए उसे पर्यटक स्थल का दर्जा देने हेतु सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है। जिसपर कार्रवाई चल रही है।

क्या कहते हैं व्यवस्थापक –

व्यवस्थापक डा. दिनेश उपाध्याय का कहना है कि ग्रामीणों व भक्तों के सहयोग से अभी मंदिर का निर्माण हुआ है। इसके विस्तार एवं सौंदर्यीकरण का कार्य कराया जा रहा है। जिससे यहां देश – विदेश से भी पर्यटक आ सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed