साहूकार के कर्ज जाल में फॅसी कंचन कर रही पुकार कानून के हाथ ना तो लंबे हैं और ना तो मजबूत हैं।
साहूकार के कर्ज जाल में फॅसी कंचन कर रही पुकार
कानून के हाथ ना तो लंबे हैं और ना तो मजबूत हैं।ऑ
आइडियल इंडिया न्यूज
देवी लाल लोखन्डे
बैतूल। मप्र
राज्य सरकार ने साहूकारी को नियंत्रित करने के लिए मप्र साहूकार अधिनियम 1934 बना रखा हैं। साहूकार के अन्याय, अत्याचार एवं शोषण से समाज के गरीब एवं मजदूर वर्ग के संरक्षण के लिए मप्र ऋणियों का संरक्षण अधिनियम 1937 बना कर रखा हुआ हैं। अवैध साहूकार इन कानूनों से खुद को उपर समझते हैं और परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 के जरिए अपनी वसूली करते हैं। साहूकार ऋण देते समय ऋणी के 02 हस्ताक्षर युक्त चैंक लेकर रख लेते हैं और गौरंटर से 01 चैंक एवं 01 हस्ताक्षर युक्त स्टांप पेपर रख लेते हैं। ऋण और ब्याज की वसूली होने के बाद चैंक का ईस्तेमाल करते हैं। अमानती चैंक का प्रयोग करना भारतीय दण्ड विधान 1860 की धारा 406 का अपराध हैं, महिला की षिकायत दर्ज नहीं करना कानून में अपराध हैं लेकिन पुलिस तंत्र में साहूकार के विरूद्ध कोई कानून काम नहीं करता हैं।
बैतूल नगर में तिलक वार्ड निवासी कंचन गौर पति राजकुमार गौर को हक त्याग के जरिए संपत्ति प्राप्त करने के लिए धनराषि की आवष्यकता थी। साहूकार अखिलेष शर्मा ने 02 कोरे चैंक कंचन गौर से तथा गैरंटर से 01 चैंक एवं कोरे स्टांप पर हस्ताक्षर लेकर 28.02.2020 को धीरेन्द्र अवस्थी के नाम पर जारी कर दिया गया। बैंक स्टेट मैंट में 02.03.2020 को धनराषि धीरेन्द्र अवस्थी के खाते में दिखाई दे रहीं हैं। ऋणी कंचन गौर ने पुलिस थाना बैतूल में 21.01.2023 को षिकायत आवेदन देकर बताया हैं कि साहूकार अखिलेष शर्मा 05 फीसदी मासिक ब्याज से धनराषि वसूलता रहा हैं और ब्याज सहित अब तक कुल 02 लाख रूपए अदा किए जा चुके हैं। साहूकार ने ऋणी कंचन गौर से 01 लाख 70 हजार रूपए की अतिरिक्त धनराषि की मांग कर डाली हैं और नहीं देने पर ऋणी और गैरंटर पर चैंक बाउंस का मुकदमा चलाने की धमकी दे डाली हैं। साहूकार धनराषि वसूलने के हर हथकण्डे अपना रहा हैं और षिकायत मिलने के बावजूद पुलिस को पता नहीं हैं कि करना क्या हैं?
साहूकार के कर्ज जाल में फॅसे ऋणी और गैरंटर ने पुलिस से फरियाद पर कुछ ना होते देख जनसुनवाई में कलेक्टर बैतूल से फरियाद लगाई हैं। गैरंटर पर साहूकार ने 03 लाख रूपए के चैंक बाउंस का मुकदमा जिला न्यायालय बैतूल में डाल कर रखा हुआ हैं। बड़ी अदालतों के फैसले बताते हैं कि अमानती चैंक का दुरूपयोग धारा 406 का अपराध हैं जिसका पता बैंक स्टेटमैंट से आसानी से चल जाता हैं लेकिन पुलिस अपराध दर्ज करने के बजाए मामले को टालने एवं दबाने वाली कार्यवाही करती हैं। जनसुनवाई में कलेक्टर बैतूल ने एसडीएम बैतूल को सुनवाई के लिए धीरेन्द्र अवस्थी का मामला भेज दिया हैं। साहूकार ने पहले गैरंटर को पकड़ा हैं तो आने वाले समय में कंचन गौर के हस्ताक्षर युक्त चैंक का नम्बर कभी भी लग सकता हैं। साहूकार किसी भी समय हस्ताक्षर युक्त चैंक पर नाम, रकम और दिनांक लिखकर कानून के षिकंजे में कंचन गौर को फंसा सकता हैं। पुलिस और राजस्व विभाग की कार्यवाही का नतीजा क्या होगा, बताया नहीं जा सकता हैं। पुलिस कार्यवाही बेनतीजा रहीं हैं तो राजस्व विभाग में मामला अभी अभी पहुॅचा हैं। इधर साहूकार चैंक बाउंस कानून का मुकदमों का पुराना खिलाड़ी हैं तो ऋणी और गैरंटर के टिक पाने की संभावना कम हैं।
भारत में आयकर कानून बना हुआ हैं जिसमें बड़ी रकम के नगद लेन देन पर रोक लगी हैं लेकिन चैंक बाउंस कानून में एैसा नहीं हैं। अधोषित रकम याने की काले धन की वसूली चैंक बाउंस कानून की धारा 138 में आसानी से हो जाती हैं। जिला न्यायालय में पेष होने वाले चैंक बाउंस के ज्यादातर मामलों में कहानी नगद लेन देन की होती हैं जिसका भुगतान चैंक के जरिए किया जाता हैं। न्यायालय में चैंक धारक के पक्ष में कानून हैं तो आरोपी समझौता करने को मजबूर हैं क्योंकि दोषसिद्धि की दर बेहद ज्यादा हैं।