अनुच्छेद-370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के मुताबिक’, CJI जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिया बयान*
*’अनुच्छेद-370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के मुताबिक’, CJI जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिया बयान*
आइडियल इंडिया न्यूज़
डा ए के गुप्ता द्वारका नई दिल्ली
नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान के अनुच्छेद-370 को रद करने के फैसले को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ के सर्वसम्मत फैसले की आलोचना पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से सोमवार को इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि जज किसी भी मामले का फैसला संविधान और कानून के अनुसार करते हैं।
एक विशेष साक्षात्कार में प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘जहां तक हमारा सवाल है तो हम संविधान और कानून के मुताबिक फैसला करते हैं। मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए आलोचना का जवाब देना या अपने फैसले का बचाव करना उचित होगा। हमने अपने फैसले में जो कहा है वह हस्ताक्षरित फैसले में मौजूद कारण में प्रतिबंबित होता है।’ उन्होंने कहा कि किसी मामले का फैसला करने वाले जज अपने फैसले के माध्यम से बोलते हैं।
देश की सार्वजनिक संपत्ति बन जाता है फैसला
एक बार फैसला सुनाए जाने के बाद वह फैसला देश की सार्वजनिक संपत्ति बन जाता है। जब तक कोई फैसला नहीं सुनाया जाता, तब तक प्रक्रिया उन न्यायाधीशों तक ही सीमित रहती है जो उस मामले के फैसले में शामिल होते हैं।
एक बार हम किसी निर्णय पर पहुंच जाते हैं और निर्णय सुना देते हैं तो यह एक सार्वजनिक संपत्ति है। यह राष्ट्र की संपत्ति है। हम एक स्वतंत्र समाज हैं। हमारे पास एक संविधान है जो भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है इसलिए लोग भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग करने के हकदार हैं। वे आलोचना कर सकते हैं और सराहना कर सकते हैं।’
अयोध्या मामले पर CJI ने दी अहम टिप्पणी
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के चार वर्ष बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि फैसला सुनाने वाले पांचों जजों ने सर्वसम्मति से तय किया था कि यह कोर्ट का फैसला होगा, इसका कोई एक लेखक नहीं होगा तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 9 नवंबर, 2019 को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।
उक्त पांच सदस्यीय पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस चंद्रचूड़ ने फैसले में लेखक जज का नाम नहीं छापने के मुद्दे पर कहा कि जब न्यायाधीश एक साथ बैठे, जैसा कि वे फैसला सुनाने से पहले करते हैं, तो सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यह एक अदालत का फैसला होगा। इसलिए किसी जज को इसका श्रेय नहीं दिया गया।
सीजेआइ ने कहा, ‘इस मामले में संघर्ष का एक लंबा इतिहास है, देश के इतिहास के आधार पर विविध दृष्टिकोण हैं और जो लोग पीठ का हिस्सा थे, उन्होंने फैसला किया कि यह अदालत का फैसला होगा। अदालत एक स्वर में बोलेगी और ऐसा करने का कारण यह स्पष्ट संदेश देना था कि हम सभी न केवल अंतिम परिणाम में, बल्कि फैसले में बताए गए कारणों में भी एक साथ हैं।’
वकीलों की मर्जी से नहीं होगा पीठों का आवंटन
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी विश्वसनीयता बनाए रखेगा, अगर वह यह सुनिश्चित करे कि पीठों को मामलों का आवंटन वकीलों द्वारा संचालित न हो। वह उन आरोपों का जवाब दे रहे थे कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मामलों को सुप्रीम कोर्ट के खास जजों को सौंपा जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘मामलों का आवंटन उस तरीके से होना चाहिए जो हम सुप्रीम कोर्ट में निर्धारित प्रणाली के अनुसार करते हैं। आपको अपने निर्णय लेने वालों पर विश्वास करना होगा।’
मामलों के आवंटन के लिए अच्छी तरह परिभाषित ढांचे को रेखांकित करते हुए सीजेआइ ने कहा कि उन्हें रोस्टर के माध्यम से सौंपा जाता है, जिसके अनुसार विषय वस्तु को प्रधान न्यायाधीश के अधिकार के तहत अग्रिम रूप से मुद्रित किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘रोस्टर को अधिसूचित किया जाता है ताकि सब देख सकें। यह सार्वजनिक होता है। यह सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर होता है।’
जज को किसी भी मामले पर निर्णय लेने का अधिकार
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के प्रत्येक जज को सीजेआइ द्वारा सौंपे गए किसी भी मामले पर निर्णय लेने का अधिकार है। कोई भी वकील इस बात पर जोर नहीं दे सकता कि मेरे मामले का फैसला किसी विशेष जज द्वारा किया जाए। अगर कोई जज किसी मामले से खुद को अलग कर लेता है तो सीजेआइ इसे फिर से किसी वरिष्ठ या कनिष्ठ जज को सौंप देते हैं।