हिंदी दिवस पर श्री मती नीलम अग्रवाल को मिला ” हिंदी काव्य रत्न ” सम्मान और सर्वोच्च शिक्षक सम्मान 2024

हिंदी दिवस पर श्री मती नीलम अग्रवाल को मिला
” हिंदी काव्य रत्न ” सम्मान और सर्वोच्च शिक्षक सम्मान 2024
आइडियल इंडिया न्यूज़
ब्यूरो डेस्क मध्य प्रदेश
आनन्द गिरि मायालु
लुंबिनी,
सितंबर १४ जिले के प्रसिद्ध कवि तथा लेखक तथा शिक्षकों का नेपाल में सम्मान किया गया है। नेपाल के लुंबिनी में आयोजित किए गए एक अंतरराष्ट्रिय स्तर के कार्यक्रम में मध्य प्रदेश की नीलम अग्रवाल को सम्मानित किया गया है। नेपाल की प्रसिद्ध संस्था शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउन्डेशन नेपाल द्वारा भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में और शिक्षा के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान देने वाले शिक्षकों व रचनाकारों को एक ऑनलाइन प्रतियोगिता के माध्यम से आज सम्मानित किया गया है।
आज हिंदी दिवस के मौके पर शब्द प्रतिभा बहुक्षेत्रीय सम्मान फाउन्डेशन नेपाल द्वारा आयोजित किए गए हिंदी दिवस अंतरराष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता में बहुमुखी प्रतिभा की धनी नीलम अग्रवाल को ” हिंदी काव्य रत्न ” मानद उपाधि सम्मान से सम्मानित किया गया है। नीलम अग्रवाल उच्च माध्यमिक शिक्षक है बच्चो के लिए नये नये तरीको से नवाचार से सिखाती है बह देखती है की किस बच्चे को कहा परेसानी है चाहे आर्थिक हो मानसिक हो या बच्चा weak हो सभी की समस्या हल करती है साहित्य समाज शिक्षा के क्षेत्र मे उल्लेखनीय योगदान के लिए अब तक अनेकों सम्मान मिल चुके हैं।
संस्था के संस्थापक अध्यक्ष आनन्द गिरि मायालु कहते हैं – नीलम अग्रवाल की रचना और शिक्षण कार्य जीवंत लग ते है बड़े अच्छे शब्दों का चयन किया है कविता में। ऐसे शिक्षकों से ही असल समाज का निर्माण होता है जो विकास और सकारात्मक परिवर्तन के लिए लिखते हैं। ऐसे विशिष्ट रचनाकारों व शिक्षकों की पहचान कर राज्य की प्रोत्साहन राशि तथा सम्मान करने की आवश्कता है।
आयोजित किए गए इस प्रतियोगिता में नेपाल, भारत, अमेरिका , कनाडा तथा तंजानिया से 6742 महिला पुरुष रचनाकारों की सहभागिता थी जिसमें 675 प्रतिभा ओं का उत्कृष्ट कविता के आधार पर चयन कर सम्मानित किया गया है। नीलम अग्रवाल ने आयोजक संस्था को धन्यवाद दिया। निःसंदेह संस्था द्वारा किए जा रहे ऐसे कार्य से हम जैसे हजारों शिक्षकों तथा लेखकों को प्रोत्साहन मिला है। संस्था की सचिव चरना कौर कहती हैं – हिंदी आज किसी एक देश की भाषा नहीं बल्कि विश्व भाषा बन चुकी है। सभी को अपनी भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए।
इस प्रतियोगिता में हजारों शिक्षकों तथा लेखकों ने देश विदेश में प्रतिभागिता की जो संस्था के लिए गर्व का विषय है। ”
आनन्द गिरी मायालु