भ्रष्टाचार की बू ..अपनी करतूत छिपाने के लिए आरटीई स्टुडेन्ट की कराते हैं बार-बार जांच

भ्रष्टाचार की बू ..अपनी करतूत छिपाने के लिए आरटीई स्टुडेन्ट की कराते हैं बार-बार जांच
आइडियल इंडिया न्यूज़
जी पी गुप्ता वाराणसी
वाराणसी शिक्षा के अधिकार के तहत भारत सरकार गरीबी रेखा में रहने वाले बच्चों को हर स्कूल में आवंटीट सीट के अनुसार बच्चों को पढाती है।उनके फीस की प्रतिपूर्ति करती है ।फीस की प्रतिपूर्ति डीबीटी के माध्यम से स्कूल के अकाउंट में बच्चों की फीस भेजी जाती है ,और अभिभावक के अकाउंट में बच्चों के कॉपी किताब ड्रेस का पैसा लगभग 5000/- प्रतिवर्ष के हिसाब से भेजा जाता है। चूकि ईमानदार मोदी सरकार डीबीटी के माध्यम से सारे पैसे लाभार्थी के अकाउंट में भेज रही है। जिसमें बिचौलियों के माध्यम से अधिकारियों के जेब में पैसा पहु़ँचना मुसीबत बन चुका है ।इसलिए अधिकारी अब नया फंडा अपना रहे हैं ।बच्चों के व बच्चो की संख्या जांच पड़ताल के नाम पर स्कूलों का भया दोहन हो रहा है ।बार-बार आरटीई के छात्रों की संख्या की जांच की जा रही है ।जांच क्यों की जा रही है ।यह समझ से परे है। जांच एक बार नहीं बल्कि दो तीन बार हो चुकी है ।फिर भी जांच जारी है यह समझ से परे इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
उच्च अधिकारियों को फोन लगाने पर वह सीधे फोन उठाते नहीं मीडिया से बात करने में कतराते हैं ।जिसका जीता जागता उदाहरण वाराणसी के बेसिक शिक्षा अधिकारी अरविंद पाठक है।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ विद्यालय के प्रबंधकों ने बताया कि जांच के नाम पर बार-बार प्रताड़ित किया जाता है और विभिन्न माध्यमों से बार-बार धन उगाही भी की जाती है ।वाराणसी के स्कूल प्रबंधको ने बताया कि अरविंद पाठक के करतूत की जांच गहराई से की जानी चाहिए ।जिससे बेसिक शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार में कमी आए और यशश्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के छवि में अधिकारी पलीता लगा रहे हैं।
ऐसा ही मैटर अपार आइ डी जनरेट में भी हो रहा है फिर भी किसी भी स्कूल का पुरा नही हो पा रहा। क्योंकि अभिभावक भी सहमति पत्र पर दस्तखत करने से हाथ खड़े कर दे रहे हैं।
जनरल प्रोफाइल कलरेक्शन करने का अधिकार सीधे स्कूलों के पास होना चाहिए।