ज्ञानवापी सर्वे केस : सुप्रीम कोर्ट ने कहा – वुजूखाने को सील कर सकते हैं, नमाज पढ़ने पर रोक नहीं, 19 मई को अगली तारीख
ज्ञानवापी सर्वे केस : सुप्रीम कोर्ट ने कहा – वुजूखाने को सील कर सकते हैं, नमाज पढ़ने पर रोक नहीं, 19 मई को अगली तारीख
नई दिल्ली। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे कराने के वाराणसी कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई।अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने 1991 के फैसले को हवाला देते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की है। मस्जिद कमेटी की ओर से हुफैजा अहमदी पक्ष रखाा।यूपी सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता ने दलील रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं।हम निचली अदालत को निर्देश देना चाहते हैं कि जहां शिवलिंग मिला है,उस जगह को सुरक्षित रखा जाए, लेकिन लोगों को नमाज से न रोका जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 19 मई को अगली तारीख दी है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि ये मालिकाना हक का केस नहीं है। पूजा की मांग की गई है, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने दलील दिया कि मां श्रृंगार गौरी,गणेश और दूसरे देवताओं के पूजा/दर्शन का अधिकार मांगा गया है। पूजा, आरती,भोग की मांग है।यह इस जगह की स्थिति को बदल देगा, जो कि अभी मस्जिद है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सर्वे का स्टेटस क्या है? इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि आप परिसर को सील कैसे कर सकते हैं। गैरकानूनी निर्देशों की झड़ी लगी हुई है। अगर आप परिसर को सील कर देंगे तो ये यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश का उल्लंघन होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जब मुस्लिम पक्ष के पैरोकार अहमदी से कहा कि यह मामला मालिकाना हक का नहीं, बल्कि पूजा का है तो मुस्लिम पक्ष ने कहा कि इससे तो हालात ही बदल जाएंगे। अहमदी ने कहा कि इसी अदालत ने कहा था कि 15 अगस्त 1947 को जो धर्म स्थल जिस स्थिति में थे, उन्हें नहीं बदला जा सकता।इस तरह के ऑर्डर (वाराणसी कोर्ट) में साजिश की बहुत आशंका है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम क्या कर सकते हैं। हम इस पूजा-अर्चना की याचिका खारिज करने के लिए ट्रायल कोर्ट को ऑर्डर दे सकते हैं।इस पर अहमदी बोले कि आप सभी निर्देशों को निरस्त करें, क्योंकि ये सब संसद के नियमों के खिलाफ हैं।
मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच कर रही हैं। मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने के लिए हाइकोर्ट में भी अपील की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई।