72 शहीदों की याद में निकला ताज़िए का जुलूस, नम हुई आंखें

72 शहीदों की याद में निकला ताज़िए का जुलूस, नम हुई आंखें
आइडियल इंडिया न्यूज़
जावेद अंसारी मऊ
मऊ। शहर के मलिक टोला से यौमे आशूरा यानी दस मोहर्रम का जुलूस मलिक टोला इमामबाड़े से निकलकर नौहखवानी व सिनाजनी पेश की। वही मौलाना शोएब रिजवी ने बताया कि आज ही के दिन हजरत इमाम हुसैन अ० को शहीद करने के बाद उनकी लाश के सिर को एक नेजे पर रख कर कर्बला के मैदान से दमश्क की तरफ यजीद को भेजा गया था। मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को पूरे परिवार समेत भूखा व प्यासा रख कर शहीद किया गया था।
यजीद ने सल्तनत की खातिर इस्लाम के उसूलों को मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी और इमाम हुसैन ने शहादत देकर इस्लाम के उसूलों को जिन्दा रखा।
कत्ले हुसैन असल में मरगे यजीद हैं, इस्लाम जिन्दा होता है। कर्बला की लड़ाई हकीकत में सच व झूठ की लड़ाई थी। ये मानवता, लोकतंत्र व समानता की लड़ाई थी। इस्लाम के मानने वालों की बहुसंख्या मोहम्मद साहब के नवासे, अली के बेटे और फातिमा के जिगर के टुकड़े इमाम हुसैन के साथ थी।
जुलूस अपने सदर चौक से होता हुआ गोला बाजार से होता हुआ संस्कृत पाठशाला पर होते हुए औरंगाबाद होते हुए कर्बला पर समाप्त हुआ और सेहरा दफन किया गया। वापसी अपने कदीमी रास्ते से हुई।
जिसमे मुख्य रूप से ताजियेदार सैय्यद अली अंसर, आसिफ रिज़वी, मंसूर, मकसूद, हैदर, रेहान, फरहान, रजा रिजवी, शुजात अली, आमान, अयान, फैजी, तामीर, जहीर, परवेज, इब्राहिम आदि लोग मौजूद रहे।