नाग पूजन करने से मिलती है भय से मुक्ति- डा0 आचार्य पं0 मुक्तेशवर दूबे
- नाग पूजन करने से मिलती है भय से मुक्ति- डा0 आचार्य पं0 मुक्तेशवर दूबे
आइडियल इंडिया न्यूज़
देवरिया
ज्योतिष वास्तु शास्त्र एवं कर्मकांड के ज्ञाता डा0 आचार्य पं0 मुक्तेशवर दूबे ने बताया की श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन नागपंचमी पर्व पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। पूरे श्रावण माह विशेष कर नागपंचमी को धरती खोदना निषिद्ध है। इस दिन व्रत करके नाग देवताकको खीर एवं दूध अर्पित किया जाता है। इस दिन नागों का पूजन एवं नाग दर्शन का विशेष माहात्म्य है।
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम् ।
शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा ॥
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम् ।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः ॥
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥
👉नागपंचमी के दिन क्या करें :
श्री दूबे ने बताया कि इस दिन नागदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए।नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए, क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है। ‘ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ का जाप करने से सर्प विष दूर होता है।
👉नाग पूजन कैसे करें :-
प्रातः उठकर घर की सफाई कर नित्य कर्म से निवृत्त हो जाएं। तपश्चात स्नान कर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें। दीवार पर गेरू पोत कर पूजन का स्थान तैयार करें। कुछ जगहों पर सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगलों में पांच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजते हैं। सर्वप्रथम नागों की बांबी में एक कटोरी दूध चढ़ा आते हैं। फिर दीवार पर बनाए गए नागदेवता की दूध, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सिवइयां व मिष्ठान का भोग लगाते हैं। तपश्चात कथा श्रवण करके नाग देवता की आरती करना चाहिए।