भरत चरित्र प्रसंग सुन श्रोता हुए भाव विभोर,
भरत चरित्र प्रसंग सुन श्रोता हुए भाव विभोर,
आइडियल इंडिया न्यूज़
राजकमल मिश्रा
बरईपार, (जौनपुर)
तेजीबाजार थाना के बरचौली गाव में मंगल निवाश पर चल रहे संगीतमयी 5 दिवसीय रामकथा के दूसरे दिन कथा वाचक मानस मणि साध्वी नीलम गायत्री चित्रकूट धाम ने कहा गोस्वामी तुलसीदास महाराज द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के अयोध्या काण्ड में वर्णित भगवान श्रीराम के वन गमन के प्रसंग के तहत भरत चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने भरत के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्रति अटूट प्रेम और वात्सल्य भाव के कई प्रसंग सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया।
कथा के दौरान प्रसंग के माध्यम से कथावाचक नीलम गायत्री बताया कि भ्रातृत्व प्रेम किसी का है तो वह भरत का। वर्तमान समय में भरत चरित्र की बहुत बड़ी प्राथमिकता है। स्वार्थ के कारण आज भाई-भाई जहां दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं, वहीं भरत चरित्र त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम का दूसरा उदाहरण है। भरत का विग्रह श्रीराम की प्रेम मूर्ति के समान है। जिससे भाई के प्रति प्रेम की शिक्षा मिलती है। इस मनुष्य जीवन में भाई व ईश्वर के प्रति प्रेम नहीं है, तो वह जीवन पशु के समान है। कहा कि सभी को भरत और श्रीराम से भाई व ईश्वर प्रेम की सीख लेनी चाहिए।
भरत के राम के प्रति भातृ प्रेम को बताया
दूसरे कथा वाचक राट्रीय मानश प्रवक्ता गोविन्द शास्त्री महाराज ने कहा कि भगवान राम के पदचिन्हों पर चलकर जीवन सफल किया जा सकता है ।इसके पूर्व आयोजक हरिशंकर शुक्ला ने
माल्यार्पण कर कथा वाचकों का सम्मान किया इस अवसर पर जितेंद्र शुक्ला श्याम जी विनोद तिवारी सुनील पांडेय आदि लोग रहे ।