फैसला आते ही मुस्लिम महिलाओं ने शिव की आरती कर जश्न मनाया

*फैसला आते ही मुस्लिम महिलाओं ने शिव की आरती कर जश्न मनाया*

*बैंड बाजे के साथ मुस्लिम महिलाओं ने अदालत के फैसले का स्वागत किया*

नाज़नीन अंसारी ने सबसे अदालत का आदेश मानने की अपील की
आइडियल इंडिया न्यूज़
कृष्ण कुमार अग्रहरि सारनाथ वाराणसी

वाराणसी, 12 सितम्बर। जैसे ही अदालत ने यह फैसला सुनाया कि आदि विश्वेश्वर ज्ञानवापी मन्दिर का मुकदमा सुनने योग्य है वैसे ही सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाज़नीन अंसारी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने भगवान शिव की आरती कर बैण्ड-बाजे के साथ जश्न मनाया। मुस्लिम महिलाएं ज्ञानवापी मामले में शुरू से ही सच के साथ हैं और औरंगजेब के कलंक से काशी विश्वनाथ मंदिर को मुक्त कराना चाहती हैं। बार-बार मुसलमानों से अपील कर रही हैं कि जिसका जो हक है उसे वो खुद सौंप दें, तभी इस्लाम की इज्जत बढ़ेगी।

मुस्लिम महिलाओं ने ‘ओम नमः शिवाय’ के साथ आरती कर यह संदेश तो दे ही दिया कि वो किसी कीमत पर नफरत नहीं फैलने देंगी। काशी की गंगा जमुनी तहजीब को बर्बाद नहीं होने देंगी।

मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी ने कहा कि जब हमारे पूर्वज हिन्दू थे तो वो तो आदि विश्वेश्वर की पूजा करते ही थे। आदि विश्वेश्वर पर कोई मुगल आक्रांता औरंगजेब कब्जा कैसे कर सकता है। मुगलों के पाप और कलंक को कोई मुसलमान न ढोए। मन्दिर तोड़ा गया इसके हजारों सबूत हैं। हिन्दू पक्ष दुनियां का महान सहिष्णु कौम है इसलिए अपने सबसे पवित्र स्थान को औरंगजेब के पाप से मुक्ति के लिए अदालत का सहारा ले रहा है। हम सभी अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।

सुभाषवादी नेता नजमा परवीन ने कहा कि सारे मुसलमान पैगम्बर के बताए रास्ते पर चलकर हक की बात करें और शांति का रास्ता अपनाएं। अदालत के हुक्म की तामील करें।

इस अवसर पर इतिहासकार एवं विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि मासिर-ए-आलमगीरी में स्पष्ट रूप से साकी मुस्तईद खान ने औरंगजेब के मंदिर तोड़ने की बात लिखी है। 1710 ई० में लिखी गयी पुस्तक सबसे बड़ा प्रमाण है। मुस्लिम पक्ष को अपना दावा छोड़ देना चाहिए। भारत के किसी मुसलमान को मंगोलों का पक्ष नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इन्हीं मंगोलों ने अंतिम खलीफा की हत्या की थी। आज का फैसला वर्षों पहले हुए अन्याय और अत्याचार के खिलाफ जीत की पहली सीढ़ी है।

खुशी जाहिर करने में नाजिया बेगम, नगीना अंजुम, मुन्नी बेगम, नाजमा, अहसीन आदि मुस्लिम महिलाओं के साथ अर्चना भरतवंशी, डॉ० मृदुला जायसवाल, खुशी भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी शामिल रहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed