प्रख्यात साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद जी का कवियों द्वारा किया गया सम्मान
संजय पान्डेय आजमगढ़
हिंदी उर्दू साहित्य मंच द्वारा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत प्रख्यात साहित्यकार जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद जी के निजी आवास रेलवे स्टेशन पहुंचकर साहित्य मंच के संरक्षक साहित्यकार संजय कुमार पांडेय ने सम्मान पत्र एवं साहित्य मंच के अध्यक्ष शायर ताज आजमी ने अंगवस्त्रम एवं सह मंत्री कवि रोहित राही महेंद्र मृदुल जय हिंद सिंह हिंद ने माल्यार्पण कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। सर्वप्रथम महेंद्र मृदुल ने अपनी रचना पढी। जो हमारे नहीं थे हमारे हुए हम मझघार से किनारे हुए । पी गई आंसुओं को एक मुस्कान गम की रातों में हंसते सितारे हुए। सुना कर लोगों को सोचने मजबूर कर दिया। इसके उपरांत जय हिंद सिंह हिंद ने अपने बुजुर्गो के सम्मान में रचना पढी। जिस घर में बुजुर्गों का सम्मान नहीं होता। उस घर का देखिए कभी उत्थान नहीं होता। रोहित राही ने अपनी कविता के माध्यम से गांव की बात कही। देखते देखते क्या सर हो गया। गांव था जो मेरा आप शहर हो गया।
कुशल संचालन कर रहे मंच के संरक्षक साहित्यकार संजय कुमार पांडे ने बेरोजगारी पर अपना सुनाया। आज हम भूख और बेरोजगारी से बेकार बैठे हैं उधर बच्चे जन्म लेने के लिए तैयार बैठे हैं। शायर ताज आजमी ने देश भक्ति पर अपनी रचना पढी। हम देश के वासी हैं इस देश में रहते हैं। ईमान की खाते हैं इमान से रहते हैं। अपनी सम्मान से अभिभूत प्रख्यात साहित्यकार काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे जगदीश प्रसाद बरनवाल कुंद ने कहा कि साहित्य मंच ने जो हमारा सम्मान किया है उसके लिए मैं आभार प्रकट करता हूं तत्पश्चात उन्होंने अपनी रचना सुना कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर प्रभात कुमार बरनवाल,पंकज यादव ,मनोज पांडेय इत्यादि लोग उपस्थित रहे ।