05/07/2025
10022403281002240178Picsart_25-05-23_23-23-40-978Picsart_25-05-12_18-07-06-196

शिव धनुष खंडित देख क्रोधित हुए परशुराम

0
IMG-20231023-WA0269

शिव धनुष खंडित देख क्रोधित हुए परशुराम
आइडियल इंडिया न्यूज़

सरफराज अहमद मऊ चिरैयाकोट (मऊ),स्थानीय नगर की रामलीला के चौथे दिन रविवार को नगर दर्शन,मीना बाजार, फुलवारी,धनुष यज्ञ तथा परशुराम-लक्ष्मण संवाद की रोमांचक लीला का मंचन हुआ। जिसमें विश्वामित्र की आज्ञा से राम और लक्ष्मण नगर दर्शन के लिए जाते हैं। उसके पुष्प लेने फुलवारी में पहुंचते हैं। जहां सीता की सहेलियां श्रीराम को देखकर उनके सौंदर्य का बखान करती हैं। तत्पश्चात सीता के कहने पर सखियां उन्हें श्रीराम को दिखाती हैं। उसके बाद सीता जी पूजन करती हैं।उसी समय आकाशवाणी होती है कि हे सीते,जो सांवले रंग के हैं, वहीं तुम्हें वर के रूप में मिलेंगे। उसके बाद जनक दरबार में कई देश के राजा आते हैं। जिन्हें जनकराज का बंदीजन उनकी प्रतिज्ञा के बारे में बताता है कि – राजा की सब सौगंध शपथ,धन्वा द्वारा पूरी होगी।जो वीर धनुष यह तोड़ेगा,सीता उसको अर्पण होगी।।तत्पश्चात बारी-बारी से सभी राजा शिव धनुष को तोड़ने का प्रयास करते हैं। लेकिन कोई उसे उठा भी नहीं पाता है। उसके बाद सभी राजा एक साथ मिलकर शिव धनुष तोड़ने का प्रयास करते हैं। परंतु उसे हिला तक नहीं पाते। यह देखकर महाराज जनक के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती हैं कि विधाता ने सीता सुकुमारी का विवाह लिखा ही नहीं है और सभी राजाओं को वहां से चले जाने को कहते हैं। इतना सुनते ही लक्ष्मण आवेश में आ जाते हैं और भ्राता राम से कहते हैं कि इस धनुष को सैकड़ों कोस तक लेकर दौड़ने की शक्ति मेरी उंगलियों में है। उसके बाद विश्वामित्र श्रीराम को जनकराज की चिंता का निवारण करने को कहते हैं। इसी बीच रावण आ जाता है। जिससे बाणासुर से जमकर वाकयुद्ध होता है। जिसमें रावण बाणासुर को कहता है कि तू जितना चाहे जोर लगा ले। परंतु धनुष उठाना तो दूर,तू हिला भी नहीं पायेगा। जिसके जवाब में बाणासुर कहता है कि मैं शिव धनुष को खंडित करके नीच नहीं कहलाऊंगा। क्योंकि मैं और सीता दोनों शिव भक्त हैं। इसलिए हम दोनों भाई-बहन हैं। अंततः रावण धनुष उठाने जाता है। लेकिन धनुष पर हाथ रखते ही वह वहीं झुका रह जाता है तो और उसका हाथ चिपक जाता है। यह देखकर बाणासुर घमंडी रावण को नसीहत देते हुए शिव का ध्यान लगाकर उसका हाथ छुड़ाता है। तभी आकाशवाणी होती है कि ऐ रावण तू यहाँ धनुष उठा रहा है।उधर तेरी बहन को मय नामक राक्षस लेकर जा रहा है।यह सुनते ही रावण वहाँ से यह कहते हुए चला गया कि सीता तुमको एक बार लंका नगरी जरूर दिखलाऊंगा। उसके बाद श्रीराम शिव धनुष को उठाकर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाने जाते हैं,शिव धनुष खंडित हो जाती है। तभी वहाँ परशुराम आ जाते हैं और खंडित शिव धनुष को देखकर अति क्रोधित हो जाते हैं। जिनसे लक्ष्मण से तीखे संवाद होते हैं। जिसमें श्रीराम बीच-बचाव करते हैं। इस दौरान परशुराम श्रीराम से कहते हैं कि यदि तुम अवतार हो तो यह रमापति की धनुष लो और इसे चढ़ाकर मेरा संदेह दूर करो। तत्पश्चात धनुष चढ़ाते ही परशुराम श्रीराम की प्रार्थना करने लगते हैं। संचालन व निर्देशन एडवोकेट अशोक कुमार अश्क चिरैयाकोटी ने किया तथा प्रेमचंद मौर्य,प्रमोद पाण्डेय, राजकुमार मौर्य, सोहनलाल टी एम, भूपेंद्र मौर्य,प्रकाश पाण्डेय, विशाल मद्धेशिया, प्रियांशु पाण्डेय,राजेश प्रजापति,गनेश मद्देशिया, आशुतोष पाण्डेय,संदीप वर्मा, दीपक पाण्डेय,उमेश मद्धेशिया,समीर,शुभम विश्वकर्मा, श्रीनिवास गुप्ता, कालिका मद्धेशिया आदि लोगों के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। वहीं रामलीला मंचन में सुभाष चंद जायसवाल, मनोज कुमार मद्धेशिया व महेन्द्र पाण्डेय ने विशेष सहयोग किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed