अश्क चिरैयाकोटी द्वारा संपादित दोहा कलश का हुआ विमोचन
अश्क चिरैयाकोटी द्वारा संपादित दोहा कलश का हुआ विमोचन
ध्यान लगाकर देखिए,कहाँ नहीं भगवान……
सरफराज अहमद मऊ
चिरैयाकोट (मऊ), स्थानीय नगर से संचालित अखिल भारतीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ” बज्म-ए-अंदाज-ए-बयां ” द्वारा संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार “अश्क चिरैयाकोटी” के संपादन में प्रकाशित साझा दोहा संग्रह ” दोहा कलश ” का भव्य विमोचन समारोह का वर्चुअल आयोजन बुधवार की रात को संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता अश्क चिरैयाकोटी तथा संचालन गीतकार दीपक ‘ दीप ‘ श्रीवास्तव मुंबई ने किया। ऑनलाइन पुस्तक विमोचन समारोह का शुभारंभ अश्क चिरैयाकोटी की सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात संपादक एवं सहभागी दोहाकारों द्वारा पुस्तक का विमोचन किया गया। उसके बाद साझा दोहा संग्रह ” दोहा कलश ” के सम्पादक अश्क चिरैयाकोटी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में सभी दोहाकारों का स्वागत करते हुए पुस्तक के प्रकाशन से सम्बंधित सभी जानकारियों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह पुस्तक में 22 दोहाकारों के 670 दोहों का विशाल संदेशपरक अनुपम संग्रह है और साथ ही इसमें दोहा छंद विधा की बुनियादी जानकारियों को भी समाहित किया गया है। ताकि नये दोहाकारों को दोहा सृजन में आसानी हो। हमारी बज्म सीखें और सिखायें की अवधारणा को लेकर साहित्यिक क्षेत्र में सेवारत है। उसके बाद
पटल पर उपस्थित दोहा कलश के सहभागी दोहाकारों ने अपने दोहे प्रस्तुत कर समां बांध दिया। जिसमें उत्तराखंड से मृत्युंजय श्रीवास्तव ने – संबंधों में हो सदा,राहत भरी मिठास। जीने का आधार है,यह पावन अहसास।। सुनाकर जीवन में संबंधों की महत्ता को रेखांकित किया। तत्पश्चात प्रयागराज से सिम्पल काव्यधारा ने कहा कि ” हर युग में साहित्य ने, पाया है सम्मान। धरती पर वरदान है,अम्बर तक पहचान ।।” सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। इनके बाद रामपुर से अनमोल रागिनी गर्ग “चुनमुन” के दोहे – मानव तेरी जिन्दगी, दोधारी तलवार। खुशी – खुशी स्वीकार ले,जीत मिले या हार।। ने लोगों को भावविभोर कर दिया। उसके बाद गाजियाबाद से सीमा धवन ने – निर्मित माटी से हुआ,मानव कुंभ समान। ज्यों-ज्यों तपता आग में, बनता जीव सुजान।। सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। मध्यप्रदेश से दुर्गा नागले ‘ पाखी ‘ ने – जीवन का आधार है, अंतर्मन हो शुद्ध। मन की मूरत साफ कर,मिल जायेंगे बुद्ध।। सुनाकर लोगों को अध्यात्म से जुड़ने को प्रेरित किया। संचालक दीपक ‘ दीप ‘ श्रीवास्तव ने – मानव जीवन है मिला, करो सदा उपकार। व्यर्थ गँवाओ मत इसे, खूब लुटाओ प्यार।। सुनाकर आपसी मेलजोल बनाए रखने हेतु प्रेरित किया। अंत में अश्क चिरैयाकोटी ने – ध्यान लगाकर देखिए कहाँ नहीं भगवान। मन्दिर – मस्जिद में मगर, भटक रहा इन्सान।।सुनाकर वर्तमान हालात पर करारा प्रहार किया। तत्पश्चात उन्होंने सभी अतिथियों एवं रचनाकारों तथा आयोजन के सीधे प्रसारण से जुड़े सैकड़ों दर्शकों के प्रति आभार व्यक्त किया।