मनरेगा में जमकर किया जा रहा घोटाला : ब्लाक परसेंडी में तेजी से दौड़ रही मास्टर रोल पर फर्जी हाजिरी की गाड़ी

मनरेगा में जमकर किया जा रहा घोटाला :
ब्लाक परसेंडी में तेजी से दौड़ रही मास्टर रोल पर फर्जी हाजिरी की गाड़ी
आइडियल इंडिया न्यूज़
बिन्दू मौर्या सीतापुर
सीतापुर जहां एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए तरह-तरह के नियम अपनाती है वही भ्रष्टाचारी भी नए-नए तरीके से भ्रष्टाचार करने में बाज नहीं आ रहे हैं । आपको बताते चलें केंद्र व राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना राष्ट्रीय ग्रामीण मनरेगा गारंटी योजना ग्रामीणों के लिए वरदान कही जाती है लेकिन सरकारी अधिकारी इस योजना को कमाई का जरिया बना लिया । क्योंकि वास्तविक में ग्रामीणों को गांव में काम नहीं मिला पा रहा है । ग्रामीण मजबूर होकर गांव से पलायन करने को मजबूर है क्योंकि गांव में कोई रोजगार नहीं है जिससे जीविका चलाने में काफी समस्या उत्पन्न हो रही है। यही समस्या देखते हुए सरकार मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना संचालित किया है । जिससे ग्रामीणों को गांव में ही काम मिल सके। ग्रामीण पलायन ना करें ।सरकारी अधिकारी सरकार के आदेशों का खुलेआम अहवेलना कर रहे हैं
सूत्रों की जानकारी अनुसार ब्लॉक स्तर सरकारी अधिकारी बीडीओ, एपीओ,टीए,सचिव, रोजगार सेवक, पंचायत मित्र अन्य प्रधानों से मोटा कमीशन ले कर अपनी कमाई का जरिया बना लिया है ।
ताजा मामला ब्लॉक परसेंडी में प्रकाश में आया है । ग्राम पंचायत कैहमारा वजीरपुर में कुल 135 श्रमिकों की हाजिरी लगाई गई । मौके पर दस श्रमिकों से कार्य कराया जा रहा है । वही दस श्रमिकों की हाजिरी मनरेगा की ऑनलाइन पोर्टल पर हाजिरी सुबह व शाम
लगाई गई । एक फोटो बारी-बारी से मनरेगा की ऑनलाइन पोर्टल पर किया गया अपलोड। चौंकाने वाला मामला यह है कि शेष श्रमिकों की ऑनलाइन पोर्टल पर हाजिरी एक बार ही लगाई गई । इसमें भी फोटो से फोटो का खेला गया खेल । यही खेल ग्राम पंचायत खदानिया , ताल गांव, कंजा शरीफपुर,
परसेंडी,सोनारी, मझिगावा अन्य यह खेल अधिकारियों के संरक्षण में खेला जा रहा है । यह खेल सिर्फ एक ग्राम पंचायत में नहीं बल्कि ब्लॉक की सभी ग्राम पंचायतों में खेला जा रहा है खेल ।
प्रधानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि हम लोगों से ब्लॉक पर बैठे उच्च अधिकारियों को मोटा कमीशन देना पड़ता है । विवश होकर श्रमिकों की फर्जी हाजिरी लगवाना पड़ता है ।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में नहीं मिलता है काम हम लोग बेबस होकर पलायन करने को मजबूर है हमारी कोई सुनने वाला नहीं है ।
जब इस विषय पर मीडिया उच्च अधिकारियों को फोन पर बात करना चाहती है तो अधिकारी फोन उठाने से कतराते हैं l संदेह हो रहा है कि इस खेल में अधिकारी भी सम्मिलित हो सकते हैं ।
जब बीडीओ से फोन पर बात करनी चाही तो फोन की घंटी बजती रही बीडीओ साहब फोन उठाना उचित नहीं समझा ।
जब सीडीओ से फोन पर बात करनी चाहिए तो फोन तो उठा परंतु फोन काट हो गया जिससे सीडीओ मैडम का पक्ष नहीं मिला सके ।