नई दिल्ली में CME प्रोग्राम का किया गयाआयोजन, एम्स दिल्ली की पूर्व प्रोफेसर डॉ. दीपिका डेका ने उपस्थित डॉक्टरों को किया संबोधित
नई दिल्ली में
CME प्रोग्राम का किया गयाआयोजन,
एम्स दिल्ली की पूर्व प्रोफेसर डॉ. दीपिका डेका ने उपस्थित डॉक्टरों को किया संबोधित
आइडियल इंडिया न्यूज़
डा ए के गुप्ता नई दिल्ली
24 मई नई दिल्ली द्वारका सेक्टर 10 वेलकम होटल में CME प्रोग्राम का आयोजन किया गया जिसमें एम्स दिल्ली की पूर्व प्रोफेसर डॉ. दीपिका डेका ने उपस्थित डॉक्टरों को संबोधित करते हुए बताया की PAPP- A एक ऐसा प्रोटीन है जो गर्भनाल और भ्रूण द्वारा काफी अधिक मात्रा में स्रावित किया जाता है यह माता के इम्यून सिस्टम से भ्रूण की रक्षा करता है और शिशु के शरीर में एंजियोजेनेसिस (नई रक्त वाहिकाओं का विकास) बनाता है एक सामान्य गर्भावस्था में समय के साथ PAPP- A के स्तर भी बढ़ जाते हैं और डिलीवरी के समय तक अधिक रहते हैं इसलिए यह भ्रूण के विकास को पहचानने के लिए एक मार्कर के रूप में भी कार्य करता है। गर्भावस्था के दौरान PAPP- A का अधिक जमाव इस बात का संकेत है कि भ्रूण का विकास ठीक प्रकार से हो रहा है यदि PAPP-A के अस्तर नहीं बढ़ते हैं तो इसका मतलब भ्रूण का जन्म किसी क्रोमोसोमल असामान्यता (डाउन सिंड्रोम या एडवर्ड सिंड्रोम) के साथ होने की संभावना बढ़ जाती है या गर्भावस्था के विपरीत प्रभाव हो सकते हैं जैसे उच्च रक्तचाप, बच्चा समय से पहले पैदा हो जाना या मृत बच्चा पैदा होना।
इसी क्रम में सीनियर कंसलटेंट रेडियोलॉजी डॉ. शुचिता नंदा ने कहां की मां की उम्र बढ़ने के साथ-साथ अजन्मे बच्चे में डाउन सिंड्रोम के होने का खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर डॉक्टर्स मां के ब्लड टेस्ट (डुअल मार्कर टेस्ट) के साथ पहले ट्राईमेस्टर का खास अल्ट्रासाउंड स्कैन कर इसे कंबाइन टेस्ट के जरिए बच्चे के स्वास्थ्य का पता लगाने की कोशिश करते है। NT स्कैन की मदद से बच्चे के सिर के पीछे मौजूद फ्लूड की जांच होती है और यह कितना ज्यादा है इसका पता लगाया जाता है। आगे डॉ. नंदा ने कहा कि यदि मां को डायबिटीज है या इन्सुलिन रेजिस्टेंस का परिवारिक इतिहास है तो भ्रूण में क्रोमोसोमल एब्नार्मेलिटीज मिल सकती हैl इस मौके पर उपस्थित डॉ कल्पना अग्रवाल, डॉ मधुलिका सिंहा, डॉ भारती सेठ, डॉ पूजा गुप्ता, डॉ शीला गुप्ता आदि वरिष्ठ चिकित्सकों ने अपना अपना वक्तव्य दिया।