क्रशर कारोबारी मर्डर केस में 2 साल रहे फरार, फिर सरेंडर,* *अब महोबा के पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार बर्खास्त,*
*यूपी:*
आइडियल इंडिया न्यूज़
हरिओम सिंह स्वराज लखनऊ
*क्रशर कारोबारी मर्डर केस में 2 साल रहे फरार, फिर सरेंडर,*
*अब महोबा के पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार बर्खास्त,*
*सूची से भी हटाया गया नाम*
*लखनऊ:* उत्तर प्रदेश से बड़ी खबर सामने आई है। यूपी कैडर के 2014 बैच के आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने यूपी सरकार की सिफारिश पर पाटीदार को आईपीएस सेवा से बर्खास्त कर दिया है। पाटीदार पर महोबा के एक क्रशर कारोबारी की हत्या और भ्रष्टाचार समेत कई बड़े आरोप लगे हैं। पिछले साल अक्टूबर में पाटीदार ने कोर्ट में सरेंडर किया था। इससे पहले वह दो साल फरार था। सरेंडर होने के बाद से ही जेल में बंद हैं ।अब आईपीएस की लिस्ट में से उसका नाम हटा दिया गया है।
आपको बता दें कि महोबा में एक क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की हत्या के मामले में पिछले साल आईपीएस मणिलाल पाटीदार पर योगी सरकार ने शिकंजा कसा था। इस मामले में पाटीदार ने यूपी पुलिस को करीब दो सालों तक छकाया था। पिछले साल अक्टूबर में उसने सरेंडर किया था। दरअसल, तीन साल पहले 7 सितंबर को क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया था। इसमें उसने महोबा के तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार और कबरई के तत्कालीन सीओ देवेंदु शुक्ला पर वसूली का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि इन पुलिस अफसरों ने उसने छह लाख रुपये रिश्वत मांगी है। उन्होंने दोनों से जान का खतरा बताया था। इस संबंध में कारोबारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी थी। जांच के बाद योगी सरकार ने पाटीदार को भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड कर दिया था।
*सस्पेंशन के 24 घंटे के भीतर कारोबारी का मर्डर*
इस पूरी कहानी में ट्विस्ट तब आ गया जब आईपीएस पाटीदार के सस्पेंशन के 24 घंटे के भीतर आठ सितंबर 2020 को कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की हत्या हो गई। उसके गले पर पीछे से गोली मारी गई थी। कारोबारी के भाई रविकांत त्रिपाठी ने पाटीदार समेत चार लोगों के खिलाफ कबरई थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें मुख्य आरोपी मणिलाल पाटीदार, बर्खास्त दारोगा देंवेंद्र शुक्ला, बर्खास्त कारखास/ सिपाही अरुण यादव और कारोबारी सुरेश सोनी, ब्रह्मादत्त शामिल हैं। इस घटना के बाद से ही मणिलाल पाटीदार फरार हो गया। करीब दो सालों तक पुलिस उसकी तलाश में खाक छानती रही। इसके बाद 15 अक्टूबर 2022 को पाटीदार ने लखनऊ की एक अदालत में सरेंडर कर दिया। पूछताछ के दौरान उसने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत बताया। बाद में एंटी करप्शन कोर्ट ने उसे जमानत भी दे दी। पुलिस की लापरवाही की वजह से उसे बेल मिल गई क्योंकि पुलिस तय समय में चार्जशीट नहीं दायर कर पाई।