कोरोना से भी भयावह बना हुआ है काशी की आबोहवा,डरा रहा है मौसम का मिजाज 

कोरोना से भी भयावह बना हुआ है काशी की आबोहवा,डरा रहा है मौसम का मिजाज

आइडियल इंडिया न्यूज़ जयचन्द वाराणसी

वाराणसी:सरकार लाख दावे कर ले कि काशी की आबोहवा सही है लेकिन वास्तव में यहाँ की स्थिति काफी नाजुक बनी हुई है।दिन प्रतिदिन बीमारों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।गुमनाम सी फैली एक बीमारी को चिकित्सक भी नही पकड़ पा रहें है,कोई इसे चिकनगुनिया,कोई टाइफाईड,कोई मलेरिया,कोई डेंगू,कोई कोरोना का दूसरा भयावह रूप मानकर ही इलाज कर रहें है।खून के जांच रिपोर्ट में भी कोई विशेष लक्षण दिखाई नही दे रहे है।मरीज को पैदल चलने-टहलने में काफी परेशानी हो रही है,बुखार तेज आने के साथ ही प्लेटनेट्स काफी तेजी से गिरता चला जा रहा है,शरीर में बेतहाशा दर्द,शरीर मे सूजन होने से जीना दुश्वार हो गया है। बच्चे,बुजुर्ग,महिला-पुरूष सभी इसकी चपेट में आ गए है।शर्मनाक बात तो यह है कि इस पर सरकार के पक्ष-विपक्ष दोनो गंधारी बने बैठे है।आम जनमानस का हाल यह है कि वह यथाशक्ति बड़े अस्पताल समेत झोला छाप चिकित्सक के यहां इलाज कराने को मजबूर बना हुआ है।जहां सरकारी अस्पतालों में बेड नही मिल रहा है वही निजी अस्पताल और झोलाछाप डॉक्टर जमकर लूट मचाये हुए है।आलम यह है कि एलोपैथिक,होम्योपैथी से लगायत नीम-हकीम के साथ ही बीमार आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के शरण में जा रहा है जहाँ से उसे पूरी तरह से निजात नही मिल पा रहा है।

 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी का शायद ही कोई ऐसा परिवार बचा हो जिसमें कोई न कोई इस गुमनाम बीमारी का शिकार न हुआ हो।सरकार दावे तो कर रही है कि आयुष्मान हेल्थ कार्ड से मरीज़ो का पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त हो रहा है मगर वह सिर्फ कागजी आंकड़ेबाजी ही दिख रहा है।कई निजी अस्पताल के कर्मचारियों के तो आयुष्मान कार्ड को देखते ही पारा चढ़ जा रहा है और वह इलाज करना तो दूर मरीज से बात तक नही कर रहें है।पहली बात तो हर मरीज के पास कार्ड नही है और जिसके पास कार्ड है तो वह महज छलावा ही साबित हो रहा है।अधिकांश लोग तो इस गुमनाम बीमारी को कोरोना 19 के दौरान लगाए गए वैक्सीन का साइड इफेक्ट्स बता रहे है तो कुछ लोगों का मानना है कि यह बीमारी फाइव जी मोबाइल नेटवर्क चालू होने के कारण बढ़ा है।बहुतो का तो यह भी कहना है कि यूरोपीय देशों में चल रहे युद्ध के कारण भारी मात्रा में इस्तेमाल किये गए गोला बारूद के कारण बढ़े वायु प्रदूषण से बीमारी बढ़ी है।वास्तविकता क्या है और यह बीमारी कौन सी है,इसके कारण क्या है सरकार को अविलंब इसे स्पस्ट करना ही चाहिए।बदलते मौसम के कारण यह गुमनाम बीमारी बढ़ती ही जा रही है इसके कारण काशी समेत देश की आबोहवा कोरोना काल से भी भयावह या मान सकते है कि बद से बदत्तर होती जा रही है। इस बीमारी के कारण देशवासियों में भय का माहौल है,लोग सहमे-सहमे नजर आ रहे है।इस गुमनाम बीमारी के इलाज करने वाले सरकारी अस्पतालों की हालत यह हो गई है कि सुविधाओं के अभाव में वह खुद बीमार से दिखने लगे है।सरकारी अस्पताल में समस्याओ का अंबार लगा हुआ है तो निजी अस्पताल संचालकों में लूटने की होड़ मची हुई है।इस अनैतिक कार्य में पैथोलॉजी संचालक भी जांच के नाम पर मनमानी धन वसूली करने में लगे हुए है।इस गुमनाम बीमारी के कारण कई लोगों की जान भी चली गई है।सरकारी अस्पताल में इलाज नही होने के कारण निजी अस्पतालों के भारी भरकम खर्च से आम जनमानस भुखमरी के कगार पर पहुंच गया है।यदि आयुष्मान हेल्थ कार्ड को सभी सरकारी,निजी अस्पतालों में कठोरता से इलाज के लिए लागू कर दिया जाय।जिससे कि मरीज परामर्श से लेकर दवा-इलाज,जांच करा सके तो बहुत से लोग इस कार्ड से लाभान्वित हो सकते है।लेकिन अधिकांश सरकारी,निजी अस्पताल इस कार्ड पर इलाज करने की बात तभी कर रहें है जब मरीज भर्ती होगा।बिना भर्ती किये मरीज़ो को भी इस कार्डधारकों को इलाज कराने में सहूलियत मिलनी चाहिए अन्यथा इस कार्ड का कोई विशेष महत्व नहीं हैं।सरकार एक तरफ घूम घूमकर आयुष्मान हेल्थ कार्ड बनवा रही है वहीं जिसके पास कार्ड है वह इलाज के लिये दर-दर भटक रहा है।

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