जनपद सीतापुर के सुप्रसिद्ध धर्म गुरु शाही ईदगाह के शाही इमाम बब्बन मियां का निधन*
*जनपद सीतापुर के सुप्रसिद्ध धर्म गुरु शाही ईदगाह के शाही इमाम बब्बन मियां का निधन*
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आइडियल इंडिया न्यूज
शरद कपूर
सीतापुर।
क़स्बा खैराबाद के सुप्रसिद्ध धर्म गुरु मशहूर आलिमें दीन मौलाना जफर अली क़ादरी बब्बन मियां का आज उनके निज निवास स्थित मोहल्ला मियां सरांय में ह्रदय गति रुक जाने से निधन हो गया। विदित हो कि मौलाना जफर अली क़ादरी उर्फ़ बब्बन मियां क़स्बा खैराबाद की शाही ईदगाह में शाही इमाम थे जो कि गत कुछ माह से अधिक बीमार चल रहे थे और लगभग पंद्रह दिनों से कुछ भी खाते पीते नहीं थे केवल पवित्र जल आबे जम जम पी कर अल्लाह का सब्र शुक्र अदा कर रहे थे,मौलाना की आयु लगभग 80 वर्ष की थी आपकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय मदरसा नियाजिया इस्लामिया में हुई उसके बाद आप लखनऊ में मौलाना नासिर मियां फरंगी महली की सेवा में पहुंच गए वहीं से अपनी शिक्षा दीक्षा का कार्य पूरा किया इसके अलावा कई अन्य शहरों में भी जाकर शिक्षा दीक्षा का कार्य किया, 1983 में तत्कालीन ईदगाह के इमाम निसार अहमद फारूकी मुल्ला मियां ने अपनी अस्वस्थता बताते हुए मौलाना बब्बन मियां के ईद के अवसर पर इमामत की पगड़ी ईदगाह में जनसमुदाय के सामने बांध दी थी उसके बाद 1984 में मुल्ला मियां का निधन हो गया था उस समय से आप ईद और बकरीद की नमाज़ पढ़ाते थे लेकिन 40 साल तक लगातार इमामत के बाद बब्बन मियां अस्वस्थ रहने लगे इस लिए 1923 में मौलाना हाफिज वा कारी अब्दुल बाक़ी को जिम्मेदारी देते हुए इमामत की पगड़ी बांध दी इस वर्ष ईद उल फितर और ईद उल अजहा की नमाज़ मौलाना अब्दुल बाक़ी ने ही पढ़ाई।मौलाना बब्बन मियां बहुत अच्छे आलिम के साथ साथ एक अच्छे इंसान भी थे आपने इस 80 साला आयु में उमरा और हज भी किया तथा लोगों से मिलने जुलने में अच्छे स्वभाव का प्रदर्शन करते थे लेकिन बहुत अधिक समय मिलने जुलने वालों को नहीं देते थे क्योंकि वो अपना अधिक समय अल्लाह की इबादत में गुजरना पसंद करते थे,आपकी शिक्षा और मालूमात का यह आलम था कि आप हाफिज कुरान तो नहीं थे लेकिन जब रमज़ान शरीफ़ में तरावीह होती थी और हाफिज साहब कुरान सुनाते थे तो आप उनकी बारीक से बारीक गलती फौरन पकड़ लिया करते थे और उनको तुरंत दुरुस्त करवा देते थे।इस्लामी माह रबी उल अव्वल में 12 तारीख़ को अपने घर पर मीलाद शरीफ़ की महफ़िल का आयोजन करते और बाल मुबारक शरीफ़ की जियारत भी करवाते थे।आपकी शायस्त्गी सिधापे का आलम यह था कि कभी भी बिना मुस्कुराहट के आपने जवाब न दिया हमेशा हंस कर जवाब दिया आप दरगाह बड़े मखदूम साहब के सज्जादा नशीन शोएब मियां से बहुत मोहब्बत करते थे आपस में बहुत अच्छे मामलात थे आप जब भी मिलते तो एक दूसरे से गले मिलते और शोएब मियां से अपने लिए दुआ की दरख्वास्त करते बाल मुबारक शरीफ़ की जियारत में भी शोएब मियां को साथ साथ रखते शोएब मियां ने आपके इंतकाल पर अफसोस जताते हुए कहा की क़स्बा ने एक अच्छे इंसान को दिया जिसकी कमी पूरी होने वाली नहीं जबकि दरगाह हाफीजिया असलमिया के सज्जादा नशीन सैय्यद फुरकान मियां हाशमी ने कहा की एक बा एखलाक इंसान हम सब के बीच से चला गया मदरसा अल्लामा फजले हक खैराबादी मेमोरियल डिग्री कालेज खैराबाद के संस्थापक बानी काजिम हुसैन ने कहा कि मॉसूफ एक नेक सिफत इंसान थे जिसकी कमी पूरी होने वाली नहीं जबकि क़स्बा तंबौर के मुफ्ती मोहम्मद खबीर नदवी ने इसे एक पूरे जिले का सानेहा करार दिया जबकि मौलाना मुफ्ती आफताब आलम नदवी खैराबादी मुफ्ती इलियास अहमद,कारी आज़म अली,कारी इस्लाम आरफी, ने कहा की आज वो खला पैदा हो गई है जो अंकरीब क्या कभी पूरी होने वाली नहीं अन्य मुख्य रूप से शोक प्रकट करने वालो में आपके भाई शद्दन मियां,नवाब मियां,भतीजा तशहीर सिद्दीकी,लल्लन खान,अशरफ सईद,आफताब खान सीतापुर,हाजी इश्तियाक नब्बन सेठ, जलीस खान,इमामुद्दीन अंसारी,मौलाना अकीक खान ,रेहान रिज़वी, सलमी मियां,टीटू खान, फरीद बिलग्रामी आदि ने कहा कि मौलाना बब्बन मियां कस्बे की एक शान थे जिससे आज क़स्बा खाली हो गया। वरिष्ठ पत्रकार आइडियल जर्नलिस्ट एसोशिएशन के राष्टीय उपाध्यक्ष शरद कपूर ने अपने शोक संदेश में कहा कि स्व. बब्बन मियां मानवता की मिशाल थे, उनसे रिक्त हुए स्थान की भरपाई निकट भविष्य में मुश्किल है। आपकी नमाज़ जनाजा दरगाह बड़े मखदूम साहब में हुई और तदफीन दरगाह हजरत छोटे मखदूम साहब में हुई। मौलाना बब्बन मियां ने कई किताबें भी लिखीं और अपने क्रिया कलाप से अलग पहचान बना रखी थी।