भारत मेरे लिए सिर्फ देश नहीं बल्कि एक मंदिर के समान है* *संपूर्ण ब्रह्मांड में सनातन धर्म ने ही मानवता का संदेश दिया– अहिंसक (स्विस नागरिक)*

*भारत मेरे लिए सिर्फ देश नहीं बल्कि एक मंदिर के समान है*

*संपूर्ण ब्रह्मांड में सनातन धर्म ने ही मानवता का संदेश दिया– अहिंसक (स्विस नागरिक)*

आइडियल इंडिया न्यूज
शरद कपूर सीतापुर
श्रीमदभगवद्गीता व श्रीराचरितमानस का विधिवत अध्ययन करने के पश्चात सनातन धर्म के प्रति किसी प्रकार की शंका नहीं रही और फिर पहले हमने ( अहिंसक) तदोपरान्त पूजनीय पिताश्री व वंदनीय माताश्री जी ने सनातन धर्म स्वीकार कर अंगसार कर लिया, साथ ही अपने जीवन में भगवान जी के आचरण को दिन प्रतिदिन उतारने का हर संभव प्रयास भी कर रहा हूँ। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सनातन धर्म महान है।

आइडियल इंडिया न्यूज़ के पत्रकार शरद कपूर सीतापुर ने किया साक्षात्कार

***********************************

यह कथन है स्विस नागरिक अहिंसक का जिन्होंने 16 वर्ष की आयु में श्रीमदभगवद्गीता सहित अन्य हिन्दू धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया और सपरिवार हिन्दू धर्म अपना लिया। अहिंसक स्विजरलैंड के निवासी एक स्विस नागरिक हैं। वह बताते हैं कि सनातन धर्म स्वीकार करने के बाद मन में देवभूमि भारत को देखने की तीव्र लालसा जाग्रत हुई तो अपने आप को रोक ना सका और 8 वर्ष पहले पैदल यात्रा ही अपने देश स्विजरलैंड से शुरू कर दी। जिसके लिए सबसे पहले आवश्यक कागजात और वीजा आदि बनवाया, वह बताते हैं कि मेरे माता पिता ने भी इस पुनीत कार्य में मेरा पूरा सहयोग किया। आज उन्हीं के आशीर्वाद से अपने सपनों के देश ( मंदिर) में मुझे पैदल भ्रमण का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
स्विस नागरिक अहिंसक का कहना है कि वह अपना पुराना नाम व जीवन सबकुछ भूल चुके हैं, उनके पिता का नाम व्यासी व माता जी का नाम ईवा जी (सरस्वती) है। वह बताते हैं कि 8 वर्ष पूर्व मन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी एवं 16 कलाओं के स्वामी भगवान श्रीकृष्ण छवि लेकर उनके दर्शन के लिए अपना देश अपना परिवार, अपने माता पिता, अपने सहपाठी एवं अपने मित्रों आदि को छोड़कर भारत दर्शन के लिए पैदल यात्रा पर ही निकल पड़ा। अहिंसक आगे कहते हैं कि भारत भूमि पर आकर उन्हें सबकुछ छोड़ने का रत्तीभर भी अफसोस नहीं है।
वह बताते हैं भारत भ्रमण पर निकलने से पहले ही उन्होने हिन्दी सीखना शुरू कर दिया था, आज वह फर्राटेदार हिन्दी बोलते हैं और किसी से भी बातचीत में वो हिन्दी का ही प्रयोग करते हैं। इतना ही नहीं अब तो उनके घर पर भी आपस में बातचीत हिन्दी में ही होती है। इनकी माँ सरस्वती स्विजरलैंड में एक योगा शिक्षक हैं।
वह बताते है कि अपनी 16 हजार किलोमीटर की यात्रा में अब तक हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, सहित कई छोटे बड़े शहरों, कस्बों व गांवों से गुजर चुके हैं। हर जगह उनका भरपूर स्वागत व अपार स्नेह प्राप्त हुआ।
रविवार की प्रातः 10 बजे अहिंसक अपनी यात्रा के दौरान जनपद के ऐतिहसिक कस्बा खैराबाद पहुंचे, जहाँ पुरानी बाजार स्थिति अति प्राचीन भगवान शिव मंदिर में उन्होंने भोलेनाथ के दर्शन किये। उसी दौरान आइडियल इंडिया न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार शरद कपूर ने उनसे बातचीत कर उनका साक्षात्कार लिया।
अहिंसक प्रतिदिन 30 से 35 किलोमीटर की यात्रा पैदल करते हैं, इस दौरान उन्होंने बताया कि प्रभु काम में निकलने पर किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती हैं। और जो छोटी मोटी रूकावट आती भी हैं तो उन्हें प्रभु स्वयं ही हर लेते हैं।
उन्होंने बताया कि भारत भ्रमण यात्रा पर निकलने से पहले उन्होंने तीन संकल्प किये थे, उसमें प्रथम है कि कभी भी कहीं पर भी किसी भी प्रकार के वाहन का प्रयोग नहीं करना है। द्वितीय संकल्प है यात्रा के दौरान फोन का प्रयोग नहीं करना है, तृतीय संकल्प है यात्रा शुरू करते समय घर से कोई पैसा लेकर नहीं चलना था। वो बताते हैं भारत में हर जगह उन्हें प्रेमभाव भरपूर मिला है और इसी दौरान ईश्वर के भक्त ही उन्हें भोजन आदि करा देते हैं साथ हर जगह लोग पैसे भी देते हैं इसी कारण उनको अभी तक कहीं पर भी पैसे की कमी नहीं महसूस हुई। वह बताते है कि चूंकि पूरा दिन पैदल यात्रा करता हूँ तो रात जहाँ भी विश्राम करता हूँ वहाँ से प्रातःकाल सूक्ष्म जलपान कर ईश्वर का नाम लेकर यात्रा आरंभ कर देता हूँ। सारा दिन रास्ते में बस एक या दो फल ही ग्रहण करता हूँ। फिर अगले पड़ाव पर जहाँ रात हो जाती है वहीं विश्राम करता हूँ और उसी जो भोजन भक्त प्रदान करते हैं उसे ईश्वर का प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लेता हूँ। फिर रात विश्राम के बाद यात्रा शुरू कर देता हूँ यही प्रक्रिया पिछले 8 साल से निरंतर जारी है।
अहिंसक अपनी भारत यात्रा में सर्वप्रथम अयोध्या धाम में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जी के श्रीचरणों में अपना शीश नवाएंगें, तदोपरान्त श्रावस्ती, वाराणसी, बोधगया तीर्थ के दर्शन करेंगे। उसके बाद वह भारत के अन्य तीर्थ स्थलों व धार्मिक और ऐतिहासिक मंदिरों के दर्शनों की अभिलाषा है।
अंत में अहिंसक कहते हैं कि अब भारत देश ही मेरी कर्मभूमि है और जब तक जीवन है यहीं भ्रमण करता रहूंगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed