आंतरिक लेखा परीक्षा निदेशालय बन रहा भ्रष्टाचार का केंद्र
आंतरिक लेखा परीक्षा निदेशालय बन रहा भ्रष्टाचार का केंद्र
आइडियल इंडिया न्यूज़
जैनब आकिल खान लखनऊ
लखनऊ।संज्ञान में आया है कि निदेशक वित्त द्वारा मनमानी तरीके से शासन को प्रस्ताव भेजा गया है इस प्रस्ताव से निदेशालय के कई अधिकारी सहमत नहीं थे साथ ही साथ बताया जा रहा है कि यह नियम विरुद्ध है इसको तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए
देखा जाए तो बीजेपी सरकार में जीरो टॉलरेंस की बात की जाती है और आम नागरिक के अधिकारों की बात की जाती है वहीं दूसरी तरफ देखा जाए तो उन्हीं के अधीन भ्रष्टाचार में पूरी तरीके से घिरे हुए हैं
साथ ही साथ बिना सेवा का शुल्क लिए किसी भी काम को करने में तमाम आनाकानी दिखाया करते है..
आपको बताते चलें कि इसका साफ़ तौर पर उदाहरण न्यू हैदराबाद लखनऊ स्थित आंतरिक लेखा और लेखा परीक्षा निदेशालय है..
जहां कई दिनों से ट्रांसफर पोस्टिंग का धंधा खूब जोरों शोरों से फल फूल रहा है
जिसमें मनचाही तैनाती के लिए ₹50000 से लेकर लगभग देखा जाए तो ढाई लाख रुपए तक वसूल किया जा रहे हैं और दूसरी तरफ उनके ईमानदार कर्मचारी ऐसे भी हैं जो बीते 8 महीने से निदेशालय के चक्कर काट रहे हैं यह बहुत ही हैरतज़दा बात है..
जिसमें आपको बताते चले कि पिछले तारीख यानी 1 जनवरी 2024 को कुछ अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारियों को प्रमोशन के लिए रकम नहीं पहुँचाया जिसके बाद उन अधिकारियों ने नाराज होकर उनको प्रमोशन से वंचित ही कर दिया..
सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है की बीते 1 जनवरी 2024 को 732 सहायक लेखाकारों में से 581 को प्रमोशन कर दिया गया था वहीं दूसरी तरफ उन्हीं के साथ के और वरिष्ठता क्रम में उनसे वरिष्ठ 141 सहायक लेखाकारों को बिना किसी ठोस वजह बताएं उनका प्रमोशन रोक दिया गया था और साथ ही साथ पिछले 1 जनवरी से उनलोग अभी तक निदेशालय के चक्कर काट रहे हैं लेकिन अफसोस की बात है कि उनकी सुनने वाला कोई नहीं
आपको बताते चलें कि जिन 581 लेखाकारों को प्रमोशन दिया गया था वर्तमान में उन्हीं के पदस्थापना/ ट्रांसफर में मोटी रकम वसूल कर मनचाही तैनाती करने में निदेशालय के उच्च स्तर के अधिकारी व्यस्त हैं..
और 141 सहायक लेखाकारों का पैसा नहीं प्राप्त होने के कारण उनका प्रमोशन उनका रोक दिया गया था और उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं है
सूत्रों से यह खबर मिली है कि 581 लेखाकारों की मनचाही तैनाती का खेल निदेशक अपर निदेशक और उत्तर प्रदेश लेखा एवं लेखा परीक्षा सेवा संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष के बीच चल रहा है जिसके प्रांतीय अध्यक्ष के माध्यम से मोटी रकम वसूल करके निदेशक और अपर निदेशक को पहुंचाई जा रही है ..साथ ही साथ कुछ निदेशालय में तैनात ईमानदारी अधिकारी और कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं उन अधिकारियों और कर्मचारियों के जरिए लिखित आपत्ति भी पद स्थापना की पत्रावली में दर्ज की गई है
लेकिन आपको बताते चले की निदेशक वह अपर निदेशक जानबूझकर नियमों को ताख़ पर रखते हुए उन ईमानदार अधिकारियों को जबरन ही डरा धमकाकर पत्रावली में साइन करने के लिए मजबूर कर रहे हैं
जहां एक तरफ सरकार में इंसाफ की बात की जाती है और जहां पर सूबे के मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार भरते हैं वही देखा जाए तो उन्हीं के अधीन अधिकारी भ्रष्टाचार में पूरी तरह से घिरे हुए हैं
और यह सोचने की बात है कि ईमानदार कर्मचारी शिकायत करें भी तो कैसे करें क्योंकि उच्च अधिकारियों द्वारा उनपर दबाव बनाया जा रहा है और उन्हें नौकरी से निकलने की धमकी भी दी जा रही है
आपको बता दें कि उन अधिकारियों का कहना है कि यूपी के मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया था कि कर्मचारियों को समय से सेवा लाभ प्रदान किया जाएगा लेकिन नौकरशाही का या आलम है कि जिनकी तरफ से उन्हें मनचाही रकम मिलती है उन्हीं के प्रमोशन किए जाते हैं और जिसकी तरफ से रकम नहीं मिलती है उसको बिना किसी कारण रोक दिया जाता है जिसके बाद उनका कहना है कि उनको महीना चक्कर लगाना पड़ता है
जिससे कि वे थक हारकर रिश्वत देने पर मजबूर हो जाए..
सोचने की बात है क्या सूबे के मुख्यमंत्री का भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने का संकल्प यही है? क्या चुनाव के वक्त पर भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने का संकल्प क्या खोखला होगया है?
इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए..