बॉलीवूड सामाजिक और वैचारिक वास्तव.
बॉलीवूड सामाजिक और वैचारिक वास्तव.
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आइडियल इंडिया न्यूज़
अजय मिश्रा नवी मुम्बई
नमस्कार मे कविराज अमोल मांढरे. आज मे आप सबके सामने बॉलीवूड पर चर्चा और एक वैचारिक लेख पेश करणे वाला हू.
प्रथम हम सब के मन मे एक भावविश्व को और हमारी बहुत कुछ जीवन की यादों पर, हमारी सुख-दुख को जोडणे वाली बॉलीवुड इंडस्ट्री पर हम सब आज चर्चा विनिमय करेंगे. हमारे भारत देश की स्वतंत्रता के बाद हमारे भारत देश के आम लोगों की जिंदगी मे एक महत्त्वपूर्ण और एक अलग स्थान हिंदी चित्रपट सृष्टीने निर्माण की है. इसी हिंदी चित्रपट सृष्टी का स्थान आज भी कायम है. इस हिंदी चित्रपट सृष्टी मे दिलीप कुमार, राज कपूर, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, राज कपूर, देव आनंद जैसे प्रसिद्ध कलाकार ने अपनी कला से हिंदी चित्रपट सृष्टी को हमारे भारत देश के लोगों के मन में एक महत्त्वपूर्ण स्थान निर्माण किया है. 90 के दशक के बाद इसी हिंदी चित्रपट सृष्टी को बॉलिवूड के नाम से पहचान मिली है. हमारी समाज मे रोज घडणे वाली सुख-दुखत घटनाये, आम लोगों की जीवन की आदत है, इन की ही प्रतिबिंब बॉलीवुड अपने फिल्म के जरिये सबके सामने ला रहा है. इसी बॉलीवुड इंडस्ट्री मे आर्थिक गणित बहुत आगे की स्तर पर है. हजारो लोगों को इसी बॉलिवुड इंडस्ट्रीने रोजगार दिया है. हमारे समाज मे बच्चों से लेकर बडे बुजुर्ग भी आख बंद करके बॉलीवूड पर विश्वास रखते है. और यही बात निर्विवाद सत्य है .इसी बॉलीवुड के आकर्षण मे हमारी इस मायानगरी मुंबई शहर मे दुर दुर से हजारो लोग रोज जाते है. और उन मे से कितने लोग इस बॉलीवुड में अपना स्थान निर्माण करते है यह भी एक सोचने वाली बात है
.. तो इसी बॉलीवूड के सामाजिक वैचारिक वास्तव मे चर्चा करणे के लिये हम सब लोगों को आगे आना चाहिए. हम जैसे लोग इसी बॉलीवूड पर अंधविश्वास रखते है. तो इसी बॉलीवूड के कलाकार फिल्म मे और वास्तव मे जिंदगी मे कैसे होते है इसका तो हमने कभी विचार ही नही किया. क्या फिल्म मे जैसे ही आम लोगों की प्रती विश्वास, देश के प्रति अभिमान और अपने सामाजिक कर्तव्य तत्पर ये सब कलाकार होते है.
वेसे ही वही कलाकार खुदके वास्तव जीवन मे अपनी समाज के प्रति जिम्मेदारी जानते है या नही यह भी एक गंभीर और वास्तविक विषय है. हमारे भारत देश मे अनेक समस्या पर चर्चा होती है. उन मे कोरो ना का संकट., किसनो की आत्महत्या, शहीद जवानों का बलिदान, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी,, इन गंभीर विषय उंपर इस बॉलीवुड के कलाकार अपने अभिनय से और कला से कई फिल्म का निर्माण करते है.और बहुत सारी कमाई करते है. लेकिन यह एक गंभीर और सोचने वाली बात ये है कि इन मे से कितने कलाकार वास्तव मे समाज के प्रति अपना दायित्व रखते है. और एक महत्वपूर्ण विषय हे, हमारे समाज की विद्यार्थी और युवावर्ग बॉलीवुड के आकर्षण मे खुदकी शारीरिक व मानसिक अवस्था गंभीर करते है. और यही बॉलीवुड के कलाकार सिर्फ और दिखावे के लिए कही स्टंट और
असामाजिक बाते अपने फिल्म मे दिखाते है. और यही उनके वास्तव जीवन मे कोई स्थान नही रखता है. लेकिन इसी बॉलीवूड के आकर्षण मे कही लोगों की जिंदगी आज तक बरबाद हो चुकी है.. तो हमारी भारत देश की आज की युवा शक्ती ही पहचान है. तो बॉलीवूड को पेहचान के लिये हम सब युवा वर्ग ने आगे आ कर अभ्यासपूर्ण और वास्तव मे
विचार-विनिमय करणा चाहिये. आज कल इंटरनेट और मोबाइल की कारण की दुनिया मे एक सेकंड मेही संपर्क किया जा सकता है. आज हमारे देश के युवावर्ग अपने करियर को लेकर शिक्षित जरूर है. इनमे से कही युवावर्ग इसी चित्रपटसृष्टी मे अपने करियर और अपना भविष्य को देखकर आगे बढ रहे है. यह वास्तव मे एक सकारात्मक विषय है.
तो इसी युवावर्ग मे एक लेखक के जरिये एक महत्वपूर्ण बात स्पष्ट करणा चाहता हू की, इसी बॉलीवूड मे विविध रूप मे आप को करिअर और उत्तम जिंदगी जीने का पर्याय निर्माण है. इनमे से कलाकार ,अभिनय ,निर्देशक, सिंगर,. निर्माता.. और जैसे और भी काम जरूर मिलेंगे. तो मे अपने युवावर्ग को एक आवाहन करना चाहता हु कि जीन युवाओं को इसी बॉलीवुड इंडस्ट्री मे अपना जीवन बिताना है, वो आगे आकर और अपनी देश हित ओर समाजहित को जानकर अपने जीवन को समृद्ध करे. तो आज की शिक्षित युवावर्ग ने इस बॉलीवुड को सिर्फ एक मनोरंजन के लिये ही सीमित रखकर अपने करियर और अपने समाज के प्रति कार्य करना चाहिए.और मे यहा एक बात स्पष्ट करना चाहता हू की, इसी बॉलीवुड इंडस्ट्री मे कही ऐसे कलाकार है जो अपने समाज के लिये दायित्व और जिम्मेदारी जानकर कही महत्त्वपूर्ण विषय पर चर्चा करते है और आर्थिक रूप मे मदत भी करते है. तो हम लोगों को भी यह पहचाना चाहिये की बॉलीवुड में सिर्फ एक मनोरंजन और एक दिखावा होता है. तो मे एक लेखक और समाज के प्रति दायित्व जानकर बॉलीवुड के कलाकारों को एक आवाहन करना चाहता हू.. अपनी कला से फिल्म मे समाज के प्रति युवाओं के कर्तव्य और किसान और जवानों के प्रति अभिमान, यही बाते अपने फिल्म मे दिखाकर जनजागृती का कार्य करना चाहिए. तो सभी लोग आप कलाकारों को प्रेम और सन्मान जरूर देंगे. धन्यवाद.. जय हिंद.जय भारत..
लेखक. कविराज अमोल मांढरे वाई.
जिला सतारा. महाराष्ट्र.
Mobile no.7709246740