वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी की पत्रकारिता के स्वर्णिम 50 वर्ष पर विशेष

वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी की पत्रकारिता के स्वर्णिम 50 वर्ष पर विशेष

# निष्पक्ष और निर्भीक कलमकार ने 1972 से शुरू कलम की धार को अब तक जारी रखा हैं।
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प्रभात सिंह चंदेल
पत्रकार, लेखक एवं समीक्षक
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एक ऐसा निर्भीक, निडर और निष्पक्ष कलमकार जिन्होंने अपनी सृजनशीलता से पत्रकारिता के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपने जीवन के 75 बसन्त पूर्ण करने के बावजूद भी युवा पत्रकारों में नयी ऊर्जा संचारित करना जारी रखा है।

संयम व अनुशासन की परिधि में रह कर अपने सामाजिक और पारिवारिक दायित्व का निर्वहन करने वाले ऐसे वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार पंडित मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी लगभग पांच दशक वर्षों से समाचार संप्रेषण व साहित्य लेखन का कार्य आज भी पूर्ण निष्ठा व लगन के साथ निरंतर जारी रखा हैं। सहज, सरल और मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी सोनांचल के ऐसे वरिष्ठ पत्रकार श्री द्विवेदी जी की लेखन प्रवृत्ति पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र में आज भी निरन्तर जारी है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक व क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी से प्रेरित होकर उनके आदर्शों व जीवन मूल्यों कोआत्मसात करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेकर बिना थके और बिना रुके सधी चाल में चलते नहीं थक रहे हैं। जीवन मे इन्होंने बहुत से उतार चढ़ाव भी देखे और दुश्वारियां भी झेली लेकिन डिगे नही। अपने जीवन आदर्शों के साथ संकल्पित होकर निरन्तर चलते रहे तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश राज्य सीमेन्ट निगम की डाला यूनिट में सेवारत रहते हुए बिना किसी पारिश्रमिक प्राप्त किए समाज हित में संवाद सूत्र के रूप में पत्रकारिता के सफर की जो शुरुआत की तो निरंतर अपनी इच्छा शक्ति और निष्पक्ष लेखन प्रवृत्ति के कारण इस क्षेत्र में आगे ही बढ़ते गए। प्रदेश की राजधानी लखनऊ, मोक्ष की नगरी वाराणसी के साथ पूर्वांचल कई महानगरों से प्रकाशित होने वाले लोकप्रिय प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में संवाददाता व जिला संवाददाता के पद पर कार्य करने श्री द्विवेदी वर्तमान में लखनऊ से प्रकाशित ‘हिन्द भाष्कर’ हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के समाचार सम्पादक और दिल्ली से प्रकाशित राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका ‘जन भावना’ के सलाहकार संपादक के रूप में देश काल और समाज हित में अपने कलम की धार को प्रवाह मान रखे हुए हैं। पत्रकारों की राष्ट्रीय स्तर की प्रमुख संस्था इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय पार्षद और मीडिया फोरम आफ इण्डिया न्यास के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष समेत विभिन्न पत्रकार संगठनों, साहित्यिक संस्थाओं व सामाजिक संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होकर कुशलता पूर्व अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
श्री द्विवेदी वर्तमान समय मे अपने ज्येष्ठ पुत्र दुर्गेश आनंद द्विवेदी के साथ प्रयागराज में प्रवास कर रहे हैं। उनके रोम रोम में सोनभद्र की संस्कृति, साहित्य और पत्रकारिता की प्रवृत्ति रची बसी होने के कारण बीते दिनों पत्रकारिता दिवस 30 मई 2022 पर विभिन्न पत्रकार संगठनों द्वारा 29 और 30 मई को आयोजित सम्मेलनों में सिरकत करने आये श्री द्विवेदी ने बताया कि यज्ञ मेरा जन्म गोरखपुर जनपद अंतर्गत सदर तहसील के भंडारों नामक ग्राम पंचायत में हुआ किंतु मेरी कर्म भूमि सोनभद्र की मिट्टी से मेरा गहरा लगाव है, यहां से मेरी स्मृतियां जुड़ी हुई है। सोनभद्र व सोनभद्रीयत को भूलना इतना आसान नही है। मेरा समूचा जीवन यहां के घाट, पहाड़ व जंगलों में बीता है। अपनी स्मृति शेष माता जी शांति देवी, पिता जी रामकृपाल द्विवेदी व जीवन संगिनी पार्वती देवी के ब्रम्हलीन होने के बाद यहां की प्रकृति में मैं उनकी छवि को देखता हूं और ऊर्जान्वित होकर संकल्प साधना को पूर्ण करने में लगा हूँ।
प्रातः स्मरणीय ब्रह्मर्षि योगिराज देवरहा बाबा के अनन्य भक्त मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी उन्हें अवतार मानते हैं और कहते हैं कि उनका स्मरण करने से मुझे असीम शक्ति मिलती है, जब भी मैं किसी संकट में होता हूँ तो उनका स्मरण करता हूँ और संकट टल जाता है। उनके प्रति श्रद्धा भक्ति रखकर मैंने उनका चमत्कार देखा है। पृथ्वी पर ऐसे सन्त विरले ही अवतरित होते हैं।
श्री द्विवेदी कहते हैं कि हर लक्ष्य बड़ा हो और मंजिल तक पहुँचना हो तो संकल्प सिद्धि के मार्ग में लाख बाधाएं आएं कोई फर्क नही पड़ता। जीवन एक यात्रा है और निरन्तर गतिमान रहना ही जीवन है ।उम्र की बंदिशों में बंधकर मैं ठहरने वाला नही हूँ, चलूंगा थकूंगा फिर चलूंगा। पत्रकारिता के क्षेत्र में मैंने जो नयी पौध लगायी है इसके पीछे मेरा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि मैं युवाओं के साथ चलना चाहता हूं नयी ऊर्जा और नये जोश के साथ

चलने से मेरे उम्र की थकान मिट जाती है। जब युवा कलमकार सत्ता और व्यवस्था के साथ संघर्ष करता है और लेखनी की चमक को फलक पर बिखेरता है तब मेरा उत्साह दोगुना हो जाता है । काश ये युवा पीढ़ी पत्रकारिता को उस शिखर पर स्थापित करता जिस मुकाम पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय, शिव नारायण भटनागर, सूफी अम्बा प्रसाद, अरविन्द घोष, मदनलाल धींगरा, पं बाबूराव विष्णु पराड़कर, गणेश शंकर विद्यार्थी व पं जुगल किशोर शुक्ल ने इसे स्थापित किया था।तभी पत्रकारिता का खोया हुआ गौरव हाशिल होगा और वह काल पत्रकारिता का स्वर्णिम युग कहा जायेगा।
मोहिं कहां विश्राम
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यही मेरा सपना है जिसकी सिद्धि के लिए मैं निरन्तर प्रयासरत हूं । शायद मैं उस गौरवशाली क्षण को अपने आंखों से देख सकूं इसी आशा और विश्वास के साथ मेरी संकल्प साधना निरन्तर जारी हैं । सभी पत्रकारों को स्वच्छ एवं निष्पक्ष पत्रकारिता करने की अपेक्षा के साथ उनके निरंतर प्रगति की कामनाएं करता हूं। जय हिंद, जय पत्रकारिता।

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