*बुरहानपुर पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत:कहा- बहुत से राष्ट्र आए और चले गए, भारत तब भी था आज भी है

*बुरहानपुर पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत:कहा- बहुत से राष्ट्र आए और चले गए, भारत तब भी था आज भी है*
आइडियल इंडिया न्यूज़
रुपेश वर्मा बुरहानपुर मध्य प्रदेश
रविवार सुबह 11 बजे आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत ने महाजनापेठ में पपू गोविंदनाथ महाराज की समाधि का लोकार्पण किया।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत रविवार को बुरहानपुर पहुंचे, और महाजनापेठ स्थित पपू गोविंद नाथ महाराज की समाधि का लोकार्पण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बहुत से राष्ट्र दुनिया में आए और चले गए। भारत तब भी था आज भी है, और कल भी रहेगा, क्योंकि यहां धर्म का काम सबल बनाते रहता है, यह वही करने का समय है। हमें देश में भारतीय मतों को मानने वाले लोगों में जो विचलन आ गया है उन्हें धर्म की जड़ों में स्थापित करना है। यही सत्य कार्य है। धर्म में जाग्रत करना ईश्वरीय कार्य है। हम सब मिलकर प्रयास करेंगे।
लोभ, लालच, जबरदस्ती से मतांतरण ठीक नहीं
मोहन भागवत ने कहा कि हम बाहर की परिस्थिति का विचार करते हैं तो बौखला जाते हैं। बौखलाने की जरूरत नहीं है। हम सब जितने सक्रिय होंगे, सब उतना जल्दी ठीक होगा। हमारे पास सत्य, करूणा, सुचिता, तपस है। हमें अपनों को जागृत करना है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि लोभ, लालच, जबरदस्ती से मतांतरण ठीक नहीं है। जैसे-जैसे देश खड़ा हो रहा है वैसे-वैसे जो नुकसान हुआ है, वह पूरा होने के आसार दिख रहे हैं। धर्म देने वाला भारत है। लोगों को धर्म, संस्कृति, नीति से जोड़ना है। 100 साल की अवधि में सबकुछ बदल देने वाले लोग यहां आए, लेकिन जो सैकड़ों साल से काम कर रहे हैं उनके हाथों में कुछ नहीं लग रहा है।
धर्म देने वाला समाज स्वयं धर्मनिष्ठ होना चाहिए
इससे पहले सर संघ चालक ने कहा कि योगी अरविंद ने कहा था सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र है, और सनातन धर्म के उत्थान की इच्छा भगवान की इच्छा है। उसके लिए धर्म देने वाला समाज स्वयं धर्मनिष्ठ होना चाहिए। आज हम देखते हैं कि अपने समाज को अपने धर्म का वास्तविक ज्ञान नहीं है। परंपरा से कर्मकांड तो होता है, लेकिन उसके पीछे जो ज्ञान है सुबोध शब्दों में कोई बताने वाला नहीं है तो धीरे-धीरे आस्था समाप्त होती है, और कर्म कांड भी क्षीण होने लगता है तो धर्म के कर्म क्षीण होते हैं, और फिर कर्म में धर्म नहीं रहता है। इसका लाभ जो दुनिया की गिद्ध प्रवृत्ति के लोग हैं, आक्रामक प्रवृत्ति के लोग हैं वे लेते हैं। वे उनको उपासना मार्ग और अपनी संस्कृति के मार्ग से दूर ले जाते हैं। ऐसा जाने के बाद आध्यात्मिक उन्नति अधिक होती है, ऐसा भी नहीं है। हमारी स्वतंत्रता है। यह अनुभव है। ऐसे भारत वर्ष बनेगा इसलिए पहुंचना सेवा करना, आदि संघ भी सेवा करता है। प्रत्यक्ष उस धर्म का स्पर्श वह अनुभव करे यह काम तो आप लोग ही कर सकते हैं। इस काम में हम सबको लगने की आवश्यकता है।
व्यक्ति को रामायण तो पता है लेकिन उसके भाव नहीं मालूम
मोहन भागवत ने कहा कि समाज को ज्ञान रहे तो वह छल कपट को पहचान सकेगा। इसलिए उसमें आस्था पक्की करना चाहिए। हमारे व्यक्ति को रामायण तो पता है, लेकिन उसका भाव नहीं पता। उसे तैयार करना पड़ेगा ताकि सवाल पूछने वाले को सही जवाब दे सके। उसका यह कच्चापन हमे दुख देता है। हमारे पूर्वजों ने हमारी जड़ें पक्की की, उसे उखाड़ने का आज तक प्रयास होता रहा। हमारे लोग नहीं बदलते। जब उनका विश्वास उठ जाता है कि हमारा समाज हमारे साथ नहीं तब ऐसा होता है।
150 साल पहले पूरा का पूरा गांव ईसाई बना था
मप्र में 150 साल पहले पूरा का पूरा गांव ईसाई बना था। बाद में पूरा गांव वापस आ गया। हजारों मील दूर से मिशनरी आकर उनका खाता-पीता है, और उसे ही बदलता है। बहुत शीघ्र धर्म के मूल्यों के आधार पर दुनिया चलने वाली है और सबसे पहले भारत चलेगा। 20-30 साल में यह परिवर्तन हम सभी के प्रयासों से देखने को मिलेंगे। संघ में नीचे से काम होता है।
भागवत ने किया समाधि का लोकार्पण
रविवार सुबह 11 बजे आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत ने महाजनापेठ में पपू गोविंदनाथ महाराज की समाधि का लोकार्पण किया। यहां से वे शिकारपुरा स्थित गुर्जर भवन पहुंचे, जहां भव्य धर्म सांस्कृतिक सम्मेलन चल रहा है। महाजनापेठ में आयोजित कार्यक्रम के दौरान शंकराचार्य, महामंडलेश्वर हरिहरानंद महाराज अमरकंटक, जितेंद्रनाथ महाराज श्रीनाथ पीठाधेश्वर सहित अन्य संत मौजूद थे।
समाधि पर होगा बाल संस्कार केंद्र, धर्म और संस्कृति की देंगे शिक्षा
समाधि स्थल पर बाल संस्कार केंद्र होगा। यहां धर्म और संस्कृति की शिक्षा दी जाएगी। साथ ही विश्व मांगल्य सभा का केंद्र भी यहां बनेगा, नियमित रूप से सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रम भी होंगे।