अखिल ब्रह्मांड में सृष्टि के मूल देवों के देव आदि देव महादेव भगवान शिव के बारे में पूर्ण वैज्ञानिक और मौलिक जानकारी

*अखिल ब्रह्मांड में सृष्टि के मूल देवों के देव आदि देव महादेव भगवान शिव के बारे में पूर्ण वैज्ञानिक और मौलिक जानकारी डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि* भाग 2
*शिव जी के द्वारा आविष्कार किए दो महामंत्र हैं पहला है ओम नमः शिवाय और दूसरा है महामृत्युंजय का ओम जूं सः मंत्र ओम शिव पार्वती नमः ओम नमः शिवाय इत्यादि बोलकर बेल पत्र गंगाजल अथवा दूध के साथ शिवलिंग पर चढ़ा कर उनका ध्यान करने और महामृत्युंजय मंत्र पढ़ने से मोक्ष और अमरत्व प्राप्त होता है सभी देवी देवताओं ने और भगवान श्री राम तथा कृष्ण और अर्जुन ने भी आसुरी और शैतानी शक्तियों पर विजय के लिए भगवान शिव का श्रद्धा के साथ पूजन करके उन्हें प्रसन्न किया और सर्वश्रेष्ठ पाशुपत नाम का दिव्यास्त्र और चक्र प्राप्त किया और भगवान श्री राम द्वारा रामेश्वरम में स्थापित शिवलिंग तो विश्व विख्यात है ही*
*शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है जबकि शिव के गले में जो वासुकी नाग हैं वह शेषनाग के भाई हैं दुनिया में परस्पर सारे विरोधी चीजें भगवान शिव में मिलते हैं जैसे मोर और नाग एक दूसरे के प्रबल दुश्मन हैं भगवान गणेश का वाहन चूहा है जबकि सांप प्रबल मूषक भक्षी जीव हैं भगवती पार्वती का वाहन सिंह है और शिव जी का वाहन नंदी बैल है अनेकता में एकता भगवान शिव की अद्भुत देन है*।
शिवजी के प्रमुख अवतारों में वीरभद्र पिप्पलाद नंदी भैरव महेश हनुमान शरभ दुर्वासा अश्वत्थामा वृषभ रतिनाथ कृष्ण दर्शन अवधूत भिक्षु आर्य सुरेश्वर किरात सुमित नर्तक ब्रह्मचारी यक्ष विश्वनाथ दूधेश्वर हंस रूप द्विज नातेश्वर प्रसिद्ध है वेदों में रुद्र के 11 प्रमुख अवतार हैं जिनमें भव चंद्र शंभू बुद्ध आज पद शास्त्र विलो हित विरुपाक्ष भीम कपाली हैं । भगवान शिव कितने सुंदर हैं इसका वर्णन मिलता है एक बार भगवान गणेश ने उन्हें असली रूप दिखाने को कहा और उनका असली रूप देखकर तीनो लोग मोहित हो गया और गणेश जी चाहते थे कि उनकी मां भगवती पार्वती से सुंदर कोई ना हो इसलिए प्रार्थना करके उन्हें असली रूप में आने को कहा जिसे भगवान शिव ने मान लिया क्योंकि वह स्वयं भगवती पार्वती को सबसे अधिक चाहते हैं*
*भगवान शिव के अनेक चिन्ह मिलते हैं जिनमें उनके पैरों के चिह्न तमिलनाडु के नागपट्टनम के शेरू बंगड़ी क्षेत्र में शिव मंदिर में मिलता है और तिरुवन्नामलाई में भी उनके परिजन हैं तेजपुर असम में जागेश्वर उत्तराखंड मैं और रांची में पहाड़ी बाबा मंदिर पर उनके पद चिन्ह मिलते हैं शिवजी की गुफाएं विश्वविख्यात हैं पहली गुफा भस्मासुर से बचने के लिए त्रिकूट पर्वत पर जम्मू से 150 किलोमीटर की दूरियों पर है और दूसरा विश्व विख्यात अमरनाथ की गुफा है जहां आज भी हर वर्ष परम अद्भुत शिवलिंग का निर्माण होता है* ।
*शिव जी इतने सरल और भोले हैं कि कोई भी पद चिन्ह लेकर या किसी भी चीज की कल्पना करके उनकी पूजा कर सकते हैं पत्थर का ढेला बटिया रुद्राक्ष त्रिशूल डमरू और और शिवलिंग उनके विशिष्ट माने जाते हैं भगवान शिव एक तरफ तो देव गुरु बृहस्पति को दूसरी तरफ दैत्य गुरु शुक्राचार्य को और विधर्मी लोगों असुरों तथा शैतानों के अंति प्रिय हैं सभी को उनकी तपस्या पर वरदान दिया है सभी जाति वर्ण धर्म और समाज के सर्वोच्च सर्वप्रिय देवता हैं*।
*भगवान शंकर ने भगवान बुद्ध के रूप में भी जन्म लिया है उसमें 27 बुद्ध के नाम प्रसिद्ध हैं जिसमें तरंकर शंकर और मैं घमँ कर विशेष प्रसिद्ध हैं जितने धर्म संप्रदाय हैं अगर गहराई से अध्ययन किया जाए तो उसका मूल है भगवान शिव और शैव धर्म में ही प्रकट होता है दुनिया के सारे धर्म पंथ और मतमातांतर भगवान शिव के द्वारा ही उत्पन्न है जिनके नाम अलग-अलग है*।
*शिव की एक पंचायत भी है जिसमें भगवान सूर्य गणपति भगवती पार्वती रुद्रा और विष्णु सम्मिलित हैं इनके प्रमुख गणों में वीरभद्र भैरव मणिभद्र नंदी श्रृंगी भृंगी संदेश गोकर्ण घंटाकर्ण जय विजय पिशाच दांत नाग नागिन और पशु प्रसिद्ध है*।
*शिवजी के प्रमुख 7 शिष्य है जिन्होंने सातों महाद्वीपों पर ज्ञान धर्म और सभ्यता का प्रचार प्रसार किया उत्तरी दक्षिणी अमेरिका यूरोप और एशिया अफ्रीका और आस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका पर उनके शिष्यों ने ज्ञान विज्ञान की कला बिखेरी बृहस्पति विशालाक्षी शुक्राचार्य सहस राक्षस महेंद्र प्रचेता मनु और भारद्वाज तथा गौर सिरस इनमें प्रसिद्ध है इनके 7 पुत्र गणेश कार्तिकेय सुकेश जालंधर अय्यप्पा भीम और हनुमान माने जाते हैं* ।।
*भगवान शिवकीे प्रथम पत्नी परम सती महादेवी सती थी जिन्होंने शिव के अपमान पर अपना प्राण त्याग कर पार्वती के रूप में जन्म लिया । जिनके अनंत नाम है जिन्हें महागौरी महाकाली उमा उर्मी अपर्णा भवानी शैलपुत्री इत्यादि नामों से जाना जाता है। भगवती पार्वती और भगवान शिव मिलकर अर्धनारीश्वर के रूप में समस्त सृष्टि का पालन पोषण और संहार करते हैं*
*पूरे विश्व के सभी अस्त्र-शस्त्र भगवान शिव ने ही बनाया और सब को दान दिए उसमें भी त्रिशूल पिनाक धनुष चक्र सुदर्शन चक्र पाशुपत विश्व विख्यात है संपूर्ण सृष्टि और देवी-देवताओं के निर्माता होने से ही भगवान शिव को आदि देव आदिनाथ और भगवती पार्वती को आदि देवी माना जाता है। सारे संसार में हर धर्म के लोग इनका साक्षात दर्शन करके अपना जीवन धन्य कर चुके हैं और सारा परम विश्व इन्हीं में समाहित है क्योंकि इन्हीं से उत्पन्न है*
*डॉ दिलीप कुमार सिंह ज्योतिष शिरोमणि और निदेशकअलका शिप्रा वैष्णवी ज्योतिष मौसम और विज्ञान अनुसंधान केंद्र*