05/07/2025
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पदाधिकारीयों ने हरीश जी का जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाया

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पदाधिकारीयों ने हरीश जी का जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाया*

आइडियल इंडिया न्यूज़

अनमोल शुक्ला बहराइच

अपने गृह जनपद बस्ती से सन 2009 में श्रावस्ती जिले के हरबंशपुर प्राथमिक विद्यालय में सर्वप्रथम नियुक्ति हुई ।वह इतने अच्छे सरल स्वभाव के थे कि बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों का भी मन जीत लिए ।बाद मे पदोन्नति पाकर गिलौला ब्लॉक के हरबंशपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक हो गए। हरीश जी को यह तो पता था कि गांव के लोग सम्मान प्यार देते हैं लेकिन यह नहीं पता था कि इतना बड़ा दुख उनके अंदर हो जाएगा जब हरीश जी ने अपने मूल जनपद बस्ती में अपना तबादला करवाया ,तो विदाई समारोह का आयोजन किया गया। आयोजन के अंत में जितने बच्चे थे सब हरीश जी से लिपटकर रोने लगे ।कोई बालक यह कहता कि मैं शैतानी नहीं करूंगा, गुरुजी आप मत जाइए विद्यालय छोड़कर ,हम सबको भी छोड़कर।कोई कहता हे , गुरु जी मैं होमवर्क पूरा कर लूंगा आप नहीं जाइए मत जाइए स्कूल से और कुछ शरारती बच्चे कहने लगे अब शैतानी नहीं करूंगा कोई कहता गुरुजी मत जाइए यहां तक की अभिभावक की आंखों में भी आंसू छलक रहे थे। वहां पर उपस्थित सभी लोग हरीश जी की भोजपुरी प्रशंसा कर रहे थे कि गुरु जी कभी किसी को मारते नहीं थे और प्यार दुलार से बहुत ही अच्छा पढ़ाते थे और किसी भी बच्चे को दुखी देखकर उससे उसका हाल-चाल पूछते थे । छोटी-मोटी हल्की फुल्की दवाई भी अपने साथ रखते थे ताकि जरूर आने पर काम आ सके ऐसे थे हमारे गुरु जी जागरण संवाददाता को हरीश जी बता रहे हैं कि उनके पिताजी श्री सत्यराम जी शिक्षक थे उन्होंने कहा था कि बेटा जहां भी रहना वहां ईमानदारी पूर्वक कार्य करोगे तो हर जगह अपनापन मिलेगा।  और यह सिलसिला बहुत पहले से ही चल रहा था कि उनके दादा स्वर्गीय जगलाल जी भी कप्तानगंज में अध्यापक थे उनकी बहन शारदा भी अध्यापिका है तो पूरा परिवार ही आचरण से अध्यापक की तरह लग भी रहा है ऐसे हरीश जी उत्तर प्रदेश तथा कार्यरत प्रदेश श्रावस्ती में बहुत ही जाने-माने प्रतिष्ठित विद्वान शिक्षक कहे जाते हैं यह उनका बड़प्पन है की छोटे से लेकर बड़ों तक को अपनापन देते हैं जैसे लगता है कि यह अपने ही है यहां तक की श्रावस्ती जिले के जितने भी संभ्रांत व्यक्ति होंगे ऐसा व्यक्ति भी चाहे जो काम करता हो और पहचानता न हो वास्तव में वास्तव में इनका बच्चों से इतना लगाव है कि बच्चे इनसे दूर जा ही नहीं सकते और बिना डर के भाई के गुरु जी से अच्छे से पढ़ाई कर रहे हैं ।गुरुजी शिक्षण कार्य करने के बाद बचे हुए समय में अपने व्यक्तियों के बीच में विद्वानों के बीच में जब बैठते हैं तो एक अलग ही समाज लगती है। हमको लगता है कि दूसरे जिले में जाकर के इतने बड़े स्तर पर इतना रुपया खर्च करना सबके बस की बात नहीं है अर्थात पैसा को लूटाते हैं लेकिन पैसा को खर्च करने में कंजूसी नहीं करते हैं और कंजूस होना भी नहीं चाहिए यह वेद शास्त्र में लिखा है साथ ही साथ अभिभावकों के बुलाने पर उनके यहां निमंत्रण आदि, शादी विवाह तथा अन्य अपने साथी गण के निमंत्रण पर और अन्य दोस्तों के यहां जाने से नहीं कतराते समाज में भी सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हैं ।जो इनको अच्छा लगता है वह जरूर करते हैं और जो देखते हैं कि बुरा है उसको टोकते भी है ऐसे गुरुजी तथा उनकी पूरे परिवार को नमन है। ऐसी विदाई हुई थी उसे समय की प्रेस ,टेलीविजन पर हरीश जी ही छाए हुए थे ऐसे गुरु परिवार का बड़प्पन है ऐसे में ऐसे में का जन्मदिन बहुत ही धूमधाम तरीके से पदाधिकारी तथा अन्य सभी व्यक्तियों ने खूब धूमधाम से महेश्वर से प्रार्थना की की हमेशा हरीश जी प्रसन्न खुश रहें यही कामना है।

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