__काशी के घाटों पर लगेंगी नारियल के रेशे के बनी छतरियां,
*__काशी के घाटों पर लगेंगी नारियल के रेशे के बनी छतरियां, तमिलनाडु की बताएंगी पहचान_*
– छतरियों पर G-20 व आजादी के अमृत महोत्सव का दिखेगा लोगो
– काशी के मंदिरों में चढ़ने वाले नारियल के खोल का होगा इस्तेमाल
आइडियल इंडिया न्यूज़
कृष्ण कुमार अग्रहरि सारनाथ वाराणसी
वाराणसी। काशी के घाटों पर तमिलनाडु के कयर (रेशे) से बनी छतरियां सजाई जाएंगी। पंडों-पुरोहितों की चौकियों पर लगने वाली ये छतरियां न सिर्फ धूप से बचाएंगी, बल्कि बनारस के घाटों की पहचान भी बनेंगी। छतरियों पर G-20 समिट व आजादी के अमृत महोत्सव का लोगो भी लगेगा। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्रालय की संस्तुति के बाद मकर संक्रांति से इसका काम शुरू होने की उम्मीद है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना के तहत काशी-तमिल संगमम का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान उद्योग, शिक्षा, परंपरा, संस्कृति, कला का संगम देखने को मिल रहा है। घाटों पर लगने वाली तमिलनाडु की छतरियां आयोजन की सार्थकता दर्शाएंगी। माना जा रहा कि जनवरी से घाटों से पुरानी छतरियों को हटाकर नारियल के रेशे से बनी छतरियों को लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। पुराने स्थलों के साथ ही वहां भी इन छतरियों को लगाया जाएगा, जहां इनकी जरूरत होगी। इन छतरियों को बनाने के लिए काशी के मंदिरों से निकलने वाले खोल का इस्तेमाल किया जाएगा।
नारियल के रेशे से बनी छतरियां बारिश, धूप और कोहरा झेलते हुए लगभग दस साल तक खराब नहीं होंगी। इसमें कुछ छतरियां तमिलनाडु से आएंगी तो कुछ यहीं उत्तर प्रदेश सरकार की ओऱ से शुरू की गई बुनकर सौर ऊर्जा योजना के तहत स्थानीय कारीगरों से तैयार कराई जाएंगी। कपड़े पर कयर सामग्रियों की बुनावट के चलते ये छतरियां अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने में भी सक्षम होंगी। कयर बोर्ड़ के अध्यक्ष डी कुप्पू रामू ने बताया कि यह भारत सरकार की ओर से स्थापित देश का सबसे पुराना और पहला कमोडिटी बोर्ड है। इसका काम पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों को विकसित कराना है। इसके तहत काशी के घाटों पर भी कयर छतरियां लगवाने का निर्णय लिया गया है। इनका निर्माण जल्द शुरू कराया जाएगा। बताया कि यूपी के कई शहरों में बोर्ड के शोरूम हैं।